newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

मध्य प्रदेश : कांग्रेस की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश को ठहराया सही

सर्वोच्च अदालत ने फैसले में कहा है कि मार्च में राज्यपाल द्वारा बहुमत परीक्षण का आदेश देना सही था।

नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के खिलाफ देशभर में एक जंग चल रही है। हर राज्य सरकार इससे निपटने के लिए तैयारियों में जुटी हुई है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच उच्चतम न्यायालय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जरूरी मामलों की सुनवाई कर रही है। इसी कड़ी में शीर्ष अदालत ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से दायर याचिका पर फैसला सुनाया है। अदालत ने फैसले में कहा है कि मार्च में राज्यपाल द्वारा बहुमत परीक्षण का आदेश देना सही था।

Shivraj Singh Chuahan Supreme Court

इस मामले में फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अभिषेक मनु सिंघवी की तरफ से दिए उस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यपाल इस तरह का आदेश नहीं दे सकते हैं।

यानी अदालत ने कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्यपाल ने तब खुद कोई फैसला न लेते हुए बहुमत परीक्षण कराने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस को मध्यप्रदेश में बड़ा झटका लगा है।

supreme court kamalnath

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एक चलती हुई विधानसभा में दो तरह के ही विकल्प बचते हैं जिसमें बहुमत परीक्षण और अविश्वास प्रस्ताव ही होता है। अदालत ने इस दौरान राज्यपाल के अधिकारों को लेकर एक विस्तृत आदेश भी जारी किया है।

Lalji Tandon

राज्य के राज्यपाल लालजी टंडन ने सियासी उठापटक के बीच विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था।  गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के सियासी संकट में राज्यपाल की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण रही थी और उनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए थे।