नई दिल्ली। आज से 3 नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए हैं। ये आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह ले रहे हैं। तीनों नए आपराधिक कानूनों को 2023 में संसद ने पास किया था। तब गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नए आपराधिक कानून दंड की जगह न्याय करने पर जोर देने के लिए लाए गए हैं। हालांकि, विपक्ष ने इन नए कानूनों का विरोध किया है।
नए आपराधिक कानून में अब राजद्रोह की जगह देशद्रोह कहा जाएगा। हत्या के लिए अब 302 की जगह 101 धारा है। वहीं, रेप के लिए 376 की जगह धारा 63 लगेगी। नए आपराधिक कानून में 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। इसमें मॉब लिंचिंग भी है। 41 अपराधों में सजा और 82 में जुर्माना बढ़ाया गया है। नए आपराधिक कानून में रेप पीड़ित का बयान उसके अभिभावक या रिश्तेदार के सामने महिला पुलिस लेगी। नाबालिग से रेप मे मौत की सजा तक का प्रावधान है। बच्चों को खरीदने और बेचने को जघन्य अपराध कहा गया है। केस की सुनवाई खत्म होने के 45 दिन में कोर्ट को फैसला देना होगा। राज्य गवाहों को सुरक्षा देंगे। महिलाओं से शादी का झूठा वादा कर छोड़ देने को अपराध माना गया है। वहीं, आरोपी और पीड़ित को 14 दिन में सभी दस्तावेज दिए जाएंगे।
नए आपराधिक कानून के तहत देश के किसी भी थाने में धाराओं समेत केस दर्ज होगा। 7 साल तक की सजा वाले अपराधों की फॉरेंसिक जांच होगी। 3 साल या उससे कम सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी के लिए कम से कम डीएसपी की मंजूरी लेनी होगी। 60 साल या ज्यादा उम्र के आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए भी डीएसपी या उससे बड़े अफसर की मंजूरी जरूरी होगी। अब आरोपी को गिरफ्तार करने के 60 से 90 दिन के भीतर पुलिस कभी भी 15 दिन की कस्टडी भी मांग सकेगी। दया याचिका के लिए नए कानून में कहा गया है कि दोषी को ये 30 दिन में राष्ट्रपति के सामने दायर करनी होगी। इस पर जो भी फैसला होगा, उसे 48 घंटे में केंद्र सरकार संबंधित राज्य के गृह विभाग और जेल सुपरिंटेंडेंट को देगी।