नई दिल्ली। मोहम्मद मुइज्जू जबसे मालदीव के राष्ट्रपति बने हैं, तभी से भारत और उनके देश के बीच काफी तनातनी बढ़ी है। मोहम्मद मुइज्जू को चीन का करीबी माना जाता है और उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के वक्त मालदीव में जनता के हित में तैनात भारतीय सैनिकों को बाहर करने का मुद्दा उठाया था। राष्ट्रपति बनने के बाद मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को वापस भी भेज दिया। यहां तक कि उनकी सरकार के 3 मंत्रियों ने पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में अशोभनीय बातें भी सोशल मीडिया पर लिखी थीं, लेकिन बावजूद इसके मोहम्मद मुइज्जू को पीएम मोदी ने न सिर्फ अपने शपथग्रहण में बुलाया, बल्कि उनको डिनर में अपने साथ भी बिठाया।
पीएम मोदी ने जब मंत्रियों के साथ रविवार शाम शपथ ली, तो उसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सभी मंत्रियों और विदेशी शासनाध्यक्षों के लिए भोज दिया। इस भोज में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना बैठी थीं। वहीं, टेबल के दूसरी तरफ पीएम मोदी थे। मोदी के ठीक बगल में बायीं तरफ मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू बैठे। मुइज्जू के बगल में भूटान के पीएम शेरिंग तोबगे दिखे। तोबगे के साथ मॉरीशस के पीएम प्रवींद्र जगन्नाथ बैठे थे। वहीं, मोदी की दायीं तरफ श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को जगह मिली। रानिल विक्रमसिंघे के बगल में नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड बैठे।
इस भोज के दौरान मोदी और मुइज्जू के बीच काफी बातचीत होती दिखी। मुइज्जू काफी खुश दिख रहे थे और पीएम मोदी ने भी उनकी आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी। दरअसल, मालदीव से हमेशा भारत के बेहतरीन रिश्ते रहे हैं। मोहम्मद मुइज्जू के दौर में मालदीव और भारत के रिश्तों में खटास आने और वहां के मंत्रियों की तरफ से पीएम मोदी का अपमान करने के कारण भारतीयों ने बड़ी तादाद में मालदीव से किनारा कर लिया है। पिछले दिनों मालदीव के पर्यटन मंत्री भारत आए थे। उन्होंने भारतीयों से फिर मालदीव जाने का आग्रह किया था। दरअसल, मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही टिकी है। पहले हर साल भारतीय बड़ी संख्या में वहां जाते थे, लेकिन जब मालदीव के मंत्रियों ने मोदी के बारे में अशोभनीय बातें लिखीं और मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को बाहर करने का आदेश दिया, तो भारतीयों ने मालदीव की जगह लक्षद्वीप जाना शुरू कर दिया।