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Ratan Tata And Mamata Banerjee: जब रतन टाटा के सपने की राह में रोड़ा बना ममता बनर्जी का आंदोलन!, फिर ऐसे पूरा किया आम लोगों को नैनो कार देने का वादा

Ratan Tata And Mamata Banerjee: एक मौका ऐसा भी आया जब रतन टाटा के सपने की राह में पश्चिम बंगाल की मौजूदा सीएम ममता बनर्जी भी खड़ी हो गई थीं। मामला पश्चिम बंगाल के सिंगुर का है। रतन टाटा सिंगुर में नैनो कार की फैक्ट्री लगाना चाहते थे, लेकिन ममता बनर्जी ने वहां लंबा आंदोलन किया। फिर भी रतन टाटा नैनो कार लाए।

मुंबई। रतन टाटा अब नहीं रहे। मशहूर उद्योगपति के निधन से पूरे देश में उनका चाहने वाले दुखी हैं। तमाम लोग अब रतन टाटा से जुड़ी तमाम पुरानी दास्तां को याद कर रहे हैं। इन्हीं में एक ऐसा भी मामला है, जब रतन टाटा के सपने की राह में पश्चिम बंगाल की मौजूदा सीएम ममता बनर्जी भी खड़ी हो गई थीं। मामला पश्चिम बंगाल के सिंगुर का है। रतन टाटा सिंगुर में नैनो कार की फैक्ट्री लगाना चाहते थे, लेकिन ममता बनर्जी ने वहां जमीन दिए जाने का विरोध कर लंबा आंदोलन किया। नतीजे में रतन टाटा को सिंगुर की जमीन छोड़नी पड़ी, लेकिन उन्होंने आम भारतीयों को नैनो कार का तोहफा देने का अपना सपना पूरा कर दिखाया।

रतन टाटा के ग्रुप को साल 2006 में पश्चिम बंगाल की तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने सिंगुर में 1000 एकड़ जमीन दी थी। किसानों ने जबरन जमीन लिए जाने के खिलाफ आवाज उठाई। उस वक्त ममता बनर्जी विपक्ष की नेता थीं और उन्होंने सिंगुर में रतन टाटा के ग्रुप को जमीन दिए जाने के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। ममता बनर्जी के आंदोलन के कारण सिंगुर की जमीन पर बाउंड्री वॉल बनाने के बावजूद टाटा ग्रुप नैनो कार की फैक्ट्री नहीं लगा पाया। जद्दोजहद जारी रही और मामला कोर्ट तक गया। आखिरकार रतन टाटा को सिंगुर की जमीन लौटाने का फैसला करना पड़ा। एक बार तो लगा कि अब नैनो कार नहीं आएगी और रतन टाटा अपने प्रोजेक्ट को बंद कर देंगे, लेकिन रतन टाटा ऐसे शख्स थे कि जो ठान लेते उसे पूरा जरूर करते थे। नैनो कार के मामले में भी ऐसा ही हुआ।

ममता बनर्जी के आंदोलन की वजह से सिंगुर की जमीन छिनने के बाद रतन टाटा ने उत्तराखंड का रुख किया। उत्तराखंड की सरकार ने नैनो कार बनाने के लिए उनको पंतनगर में जमीन दी। जहां रतन टाटा ने प्लांट लगाया और नैनो कार भारत के आम लोगों को सौंपी। महज 1 लाख की कीमत की वो 4 सीटर नैनो कार लाए थे। रतन टाटा ने खुद बताया था कि बाइक पर 4 लोगों के तमाम परिवारों को सफर करते देखकर उनको नैनो कार बनाने का विचार आया था। हालांकि, भारत में नैनो कार बहुत ज्यादा नहीं बिकी, लेकिन विदेश में इस कार ने बिक्री के झंडे फहराए।