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Manmohan Singh’s Interview: G-20 बैठक से पहले पूर्व PM मनमोहन सिंह का इंटरव्यू, इन मुद्दों पर खुलकर रखी अपनी बात

Manmohan Singh’s Interview: एक धड़ा युद्ध के खिलाफ है, तो दूसरा युद्ध का मौन समर्थन कर रहा है। ऐसी स्थिति में भारत की भूमिका का अहम हो जाना लाजिमी है। पूर्व प्रधानमंत्री ने इंटरव्यू में आगे कहा कि भारत के लिए विकास को लेकर हम सभी आशावादी हैं और हमारा यही आशावादी रवैया हमारे देश के विकास का कारक बनेगा।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दो दिनी जी-20 बैठक को लेकर सारी तैयारियां मुकम्मल हो चुकी हैं। अधिकांश मेहमान हमारी सरजमीं पर अपनी आमद दर्ज करा चुके हैं, तो वहीं शेष आज शाम तक पहुंच चुके हैं। सभी विदेशी मेहमानों के लिए ठहरने की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुरक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य गतिविधियों को दुरूस्त कर लिया गया है। उधर, इस बैठक को लेकर सियासी माहौल भी तरोताजा बना हुआ है। जहां कुछ लोग इसे मोदी सरकार की उपलब्धि बताकर रेखांकित कर रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग इसे एक सामान्य परिघटना बताकर इसे सरकार की उपलब्धि बताने वाले लोगों को आड़े हाथों ले रहे हैं। इस बीच जी-20 की बैठक से एक दिन पहले यानी की 7 सितंबर को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में इस बैठक को लेकर कई अहम बातों पर प्रकाश डाला और इसके अलावा उन्होंने इस महत्वपूर्ण दौर में भारत की भूमिका को भी रेखांकित किया। आइए, आगे कि रिपोर्ट में आपको मनमोहन सिंह के साक्षात्कार के बारे में विस्तार से बताते हैं।

 

बता दें कि मनमोहन सिंह ने इस बात पर जोर देते हए कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका अहम हो जाती है। जिस तरह से रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध का सिलसिला जारी है। एक धड़ा युद्ध के खिलाफ है, तो दूसरा युद्ध का मौन समर्थन कर रहा है। ऐसी स्थिति में भारत की भूमिका का अहम हो जाना लाजिमी है। पूर्व प्रधानमंत्री ने इंटरव्यू में आगे कहा कि भारत के लिए विकास को लेकर हम सभी आशावादी हैं और हमारा यही आशावादी रवैया हमारे देश के विकास का कारक बनेगा। इस बीच प्रधानमंत्री ने 2008 के आर्थिक मंदी का हवाला देते हुए कहा कि जी -20 ने उस दौर में अहम भूमिका निभाई थी जिसके लिए इस संगठन की तारीफ की जानी चाहिए। मनमोहन सिंह ने मेगा जी20 बैठक से पहले द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “भारत ने अपने संप्रभु और आर्थिक हितों को पहले स्थान पर रखकर सही काम किया है और साथ ही शांति की अपील भी की है।” उन्होंने घरेलू राजनीति के लिए विदेश नीति का उपयोग करने पर भी सावधानी जताई है। पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि,’ विदेश नीति उनके समय की तुलना में घरेलू राजनीति से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। दलीय राजनीति के लिए कूटनीति का प्रयोग करते समय संयमित रहना जरूरी था। पूर्व प्रधानमंत्री ने आगे अपने इंटरव्यू में आगे कहा कि, ‘”मुझे बहुत खुशी है कि जी20 की अध्यक्षता के लिए भारत को बारी-बारी से मौका मेरे जीवनकाल के दौरान मिला और मैं भारत को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए विश्व नेताओं की मेजबानी करते हुए देख रहा हूं। विदेश नीति हमेशा भारत के शासन ढांचे का एक महत्वपूर्ण तत्व रही है, लेकिन यह उचित है कहने का तात्पर्य यह है कि यह पहले की तुलना में आज घरेलू राजनीति के लिए और भी अधिक प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हो गया है। जबकि दुनिया में भारत की स्थिति घरेलू राजनीति में एक मुद्दा होना चाहिए, पार्टी या व्यक्तिगत के लिए कूटनीति और विदेश नीति का उपयोग करने में संयम बरतना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि , ‘2005 से 2015 के दशक में सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में भारत का विदेशी व्यापार दोगुना हो गया, जिससे हमें काफी फायदा हुआ और सैकड़ों करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। इसका मतलब यह भी है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ कहीं अधिक एकीकृत है। 2008 के वित्तीय संकट के दौरान, G20 ने नीतिगत प्रतिक्रियाओं के समन्वय, वैश्विक वित्तीय सुरक्षा जाल को मजबूत करने और अंतर-सरकारी समन्वय की प्रक्रिया शुरू करने में बहुत अच्छा काम किया। वर्तमान में डी-ग्लोबलाइजेशन और नए प्रकार के व्यापार प्रतिबंधों की बात हो रही है। ये मौजूदा ऑर्डर को बाधित कर सकते हैं लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत के लिए नए अवसर भी खोल सकते हैं। यह भारत के आर्थिक हित में है कि वह विवादों में न फंसे और विभिन्न देशों और क्षेत्रों में व्यापारिक संबंधों का संतुलन बनाए रखे।