मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटिल अब भूख हड़ताल और मुंबई की ओर कूच नहीं करेंगे। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की तरफ से मनोज जरांगे पाटिल को मराठा आरक्षण का मसौदा अध्यादेश भेजा गया था। जिसे देखने के बाद मनोज जरांगे ने आंदोलन खत्म करने का एलान किया। मनोज जरांगे अपने समर्थकों के साथ नवी मुंबई में धरना दे रहे थे। सीएम एकनाथ शिंदे की तरफ से मराठा आरक्षण का मसौदा अध्यादेश देखने के बाद उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अच्छा काम किया है। हमारा विरोध अब खत्म हुआ। मनोज जरांगे ने कहा कि हम सरकार का पत्र स्वीकार कर रहे हैं। आज सीएम के हाथ जूस पीकर अपना आंदोलन खत्म करूंगा। बता दें कि मनोज जरांगे पहले भी कई बार मराठा आरक्षण की मांग पर आंदोलन कर चुके हैं।
#WATCH | Maratha quota activist Manoj Jarange Patil to end his fast today in the presence of Maharashtra CM Eknath Shinde after the government accepted demands, in Navi Mumbai pic.twitter.com/ogLqes3wHL
— ANI (@ANI) January 27, 2024
अब आपको बताते हैं कि मनोज जरांगे ने क्या मांगें रखी थीं। पहली मांग तो ये थी कि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को ओबीसी मानते हुए सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए। मनोज जरांगे की मांग थी कि मराठा समुदाय को फूलप्रूफ आरक्षण मिले। दूसरी मांग थी कि कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देने वाला सरकारी आदेश जारी हो और उसमें महाराष्ट्र शब्द जरूर रखा जाए। इसके अलावा उनकी मांग है कि महाराष्ट्र की सरकार मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वे के लिए टीमें बनाए और धनराशि दे। साथ ही मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज केस को रद्द करने के लिए भी तारीख तय की जाए। मनोज जरांगे पाटिल ने एलान किया था कि जब तक मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं मिलता, वो अपने घर नहीं जाएंगे। पिछले दिनों मनोज जरांगे अपने हजारों कार्यकर्ताओं के साथ मुंबई की ओर चले थे। फिर उनको प्रदर्शन और धरना देने के लिए पुलिस ने नवी मुंबई में जगह दी थी।
हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने अब मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लाने का रास्ता चुना है और आगे वो विधानसभा में बिल भी ला सकती है, लेकिन ये आरक्षण किस तरह दिया जाता है, ये देखना है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। ऐसे में मराठा समुदाय को ओबीसी के कोटे के तहत ही आरक्षण मिलता है या इस आरक्षण से 50 फीसदी का कोटा पार होता है, ये बहुत अहम मसला रहेगा। अगर ओबीसी कोटे में ही मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जाता है, तो इससे उस समुदाय के लोगों के भी विरोध में उठ खड़े होने के आसार बन सकते हैं।