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Maulana Sajid Rashidi Claimed To Vote For BJP : मौलाना साजिद रशीदी ने दिल्ली चुनाव में बीजेपी को वोट देने का किया दावा, कारण भी बताया

Maulana Sajid Rashidi Claimed To Vote For BJP : ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना रशीदी का कहना है कि बीजेपी के नाम पर मुसलमानों को डराया जाता है। विपक्ष ने मुसलमानों के मन में यह बात बैठा दी है कि बीजेपी को हराओ नहीं तो अगर वो सत्ता में आए तो मुसलमानों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। मौलाना रशीद बोले, अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी तो मैं मुसलमानों को दिखाऊंगा कि पांच साल में मेरा कौन सा अधिकार बीजेपी ने छीन लिया है।

नई दिल्ली। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट देने का दावा किया है। उनका कहना है कि जिंदगी में पहली बार मैंने बीजेपी को वोट दिया है। मैं चाहता हूं कि दिल्ली में बीजेपी की जीत हो। मौलाना रशीदी का कहना है कि उन्होंने अपना वीडियो इसलिए वायरल किया है क्योंकि बीजेपी के नाम पर मुसलमानों को डराया जाता है और विपक्षी दल कहते हैं कि मुसलमान बीजेपी को हराने के लिए वोट देते हैं। मुसलमानों के मन में यह बात बैठा दी गई है कि बीजेपी को हराओ नहीं तो अगर वो सत्ता में आए तो मुसलमानों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। मैंने मुसलमानों के मन से उस डर को दूर करने के लिए बीजेपी को वोट दिया है।

मौलाना रशीद ने कहा कि अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनी तो मैं मुसलमानों को दिखाऊंगा और बताऊंगा कि पांच साल मेरा कौन सा अधिकार बीजेपी ने छीन लिया है। हालांकि उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि मैं बीजेपी में शामिल हो गया हूं या मैंने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। अगर उनकी कोई नीति मुसलमानों के खिलाफ जाती है, तो मैं उसका विरोध करूंगा। मुझे धमकियां मिल रही हैं और आरोप लगाया जा रहा है कि मैं बीजेपी के हाथों बिक गया हूं। ऐसा कुछ भी नहीं है, मेरे खिलाफ कोई भी मामला नहीं है। मेरा एकमात्र उद्देश्य मुसलमानों के दिल और दिमाग से उस डर को दूर करना है।

वहीं बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने भी अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर मौलाना रशीदी का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, मौलाना रशीदी का कहना है कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट दिया। यह कोई अकेला उदाहरण नहीं है, और अगर मुसलमान भी बड़े पैमाने पर बीजेपी का समर्थन करना शुरू कर दें तो तथाकथित ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियों को चिंतित होना चाहिए।