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Rajasthan: करौली में दलित युवती के साथ हुई दरिंदगी पर फूटा मायावती का गुस्सा, बोला गहलोत सरकार पर हमला

Rajasthan: वैसे अगर बतौर विश्लेणात्मक दृष्टि से मायावती के ट्वीट को देखें तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि उन्होंने गलत ही क्या कहा है? बीते दिनों की घटनाएं इस बात की तो भलीभांति तस्दीक करतीं हैं कि गहलोत राज में दलितों की दूर्दशा अपने चरम पर पहुंच चुकी है।

नई दिल्ली। राजस्थान के करौली में 19 वर्षीय दलित युवती के साथ गैंगरेप के बाद उसके चेहरे पर तेजाब फेंककर उसकी हत्या कर दी गई। चेहरे पर तेबाज इसलिए फेंका गया, ताकि उसकी पहचान ना हो सकें। क्षत-विक्षत अवस्था में शव बरामद करके पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। डॉक्टरों द्वारा गठित मेडिकल टीम द्वारा जल्द ही पुलिस को पीएम रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, आरोपियों की तलाश में पुलिस जुटी हुई है। अभी तक दरिंदों के बार में कोई जानकारी नहीं है। इस घटना के बाद से स्थानीय लोगों के बीच में गहलोत सरकार के खिलाफ आक्रोश अपने चरम पर पहुंच चुका है, लेकिन दलितों के प्रति गहलोत सरकार की मेहबानी देखिए उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट तक नहीं किया। अपने ट्विटर हैंडल पर वो सिर्फ और सिर्फ अपनी उपलब्धियों की ही गाथा गा रहे हैं, लेकिन सूबे की जमीनी हकीकत क्या है? इस बारे में शायद उन्हें कोई जानकारी नहीं है। अगर होती तो कम से कम एक ट्वीट करने की जहमत उठाते ही।

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खैर, गहलोत जी को छोड़िए, लेकिन खुद को दलितों की मसीहा कहने वालीं बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने करौली में दलित युवती के साथ हुई दरिंदगी पर गहलोत सरकार को जो आईना दिखाया है, उसमें अपना अक्स देखने के बाद गहलोत साहब की क्या प्रतिक्रिया होगी। यकीनन देखना दिलचस्प रहेगा। आइए, पहले आपको बताते हैं कि मायावती ने क्या कहा है?

दरअसल, मायावती ने ट्वीट कर कहा कि, ‘ राजस्थान में भी दलित उत्पीड़न/हत्या का मामला अति-दुःखद तथा वहाँ की राज्य सरकार के लिए अति-शर्म की बात। करौली ज़िले में दलित बच्ची की घर से सोते हुए अपहरण व हत्या करके एसिड से जली उसकी लाश को कुएं में फेंकने की सुनियोजित जातिवादी घटना की जितनी भी निन्दा की जाए वह कम।

वहीं, उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि, ‘वैसे तो कांग्रेस हो या बीजेपी जैसी अन्य पार्टियों की सरकारों से गरीबों, मजलूमों, दलितों, आदिवासियों व अति पिछड़े आदि उपेक्षितों के उत्पीड़न तथा उनकी सुरक्षा व सम्मान की उम्मीद कतई नहीं की जा सकती है, फिर भी सरकार से माँग है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे।

वैसे अगर बतौर विश्लेणात्मक दृष्टि से मायावती के ट्वीट को देखें तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि उन्होंने गलत ही क्या कहा है? बीते दिनों की घटनाएं इस बात की तो भलीभांति तस्दीक करतीं हैं कि गहलोत राज में दलितों की दुर्दशा अपने चरम पर पहुंच चुकी है, लेकिन गहलोत साहब को इनसे कोई सरोकार नहीं है। वो तो बस आपसी नूरा कुश्ती में ही मशगूल हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में सीएम गहलोत की पुलिस इस करौली मामले में क्या कुछ कार्रवाई करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।