
नई दिल्ली। पुणे में पोर्श कार दुर्घटना मामले में दो लोगों को कार से कुचलने के नाबालिग आरोपी को मामूली शर्तों के साथ आसानी से जमानत मिलने के बाद से ही इस मामले ने तूल पकड़ रखा है। जहां एक ओर पुणे पुलिस ने नाबालिग पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की हाईकोर्ट से अनुमति मांगी है तो वहीं इस मामले में अब एक और नया खुलासा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक घटना से पहले नाबालिग आरोपी ने अपने दोस्तों के साथ दो अलग-अलग पब में 90 मिनट में 48 हजार रुपए की शराब पी। पुणे जिला कलेक्ट्रेट के आदेश पर महाराष्ट्र एक्साइज डिपार्टमेंट ने मंगलवार को ही उन दोनों पब को सील कर दिया, जहां 17 वर्षीय आरोपी को शराब सर्व की गई थी।

उधर, नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को भी मंगलवार को पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार किया था। हालांकि पुलिस के मुताबिक विशाल ने भागने की विस्तृत योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पुलिस को गुमराह करने के लिए वह ड्राइवर से मुंबई जाने को बोलकर अपनी कार में घर से निकला। दूसरे ड्राइवर को उसने दूसरी कार से गोवा जाने को कहा। रास्ते में, विशाल कार से उतर गए और छत्रपति संभाजीनगर, जिसे पहले औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था, की ओर जाने के लिए एक दोस्त की कार का इस्तेमाल किया। पुलिस ने कहा है कि पुलिस को भ्रमित करने के लिए कई कारें शामिल थीं कि वह कहां जा रहा था। पुलिस ने कहा है कि नाबालिग आरोपी के पिता ने इस दौरान एक नए सिम कार्ड का भी प्रयोग शुरू कर दिया ताकि पुलिस उसके नंबर को ट्रैक न कर सके। जब पुलिस को जानकारी मिली कि वह अपने दोस्त की कार में है, तो जीपीएस के जरिए गाड़ी को ट्रैक करते हुए हाईवे पर लगे सीसीटीवी से उसकी पहचान की और उसे गिरफ्तार कर लिया।

वहीं इस मामले में जैसा कि पुलिस आरोपी किशोर पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाना चाहती है, क्या ऐसा संभव है? इस मामले में कानून के मुताबिक क्या हो सकता है ये आपको बताते हैं। किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021, जिसमें किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में संशोधन करने की मांग की गई थी, 28 जुलाई, 2021 को राज्यसभा में पारित किया गया था। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 15 के तहत जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड यह आकलन करती है कि क्या किसी किशोर पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जा सकता है। इसमें अपराध की तीन श्रेणियां हैं मामूली अपराध, गंभीर अपराध और जघन्य अपराध निर्धारित की गई हैं। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अनुसार, जघन्य अपराधों के आरोपी किशोरों जिनकी उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच है, उन पर वयस्कों के रूप में मुकदमा चलाया जा सकता है।