newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

One Nation One Election Bill: मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल को दी मंजूरी, संसद के इसी सत्र में होगा पेश; जानिए कैसे होगा लागू और चुनाव किस तरह कराए जाएंगे

One Nation One Election Bill: पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल को मंजूरी दे दी। इस तरह संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही वन नेशन वन इलेक्शन बिल को पेश करने की संभावना बढ़ गई है। इस बिल को जेपीसी में भेजे जाने की संभावना है।

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल को मंजूरी दे दी। इस तरह संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही वन नेशन वन इलेक्शन बिल को पेश करने की संभावना बढ़ गई है। संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक है। ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी सरकार वन नेशन वन इलेक्शन का बिल पेश कर इसे संसद की जेपीसी को भिजवा सकती है। ताकि इस पर आम राय बनाई जा सके। कुछ महीने पहले ही मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन पर दाखिल रिपोर्ट को भी मंजूरी दी थी। विपक्षी दलों ने हालांकि वन नेशन वन इलेक्शन का आम तौर पर विरोध किया है। हालांकि, बीएसपी सुप्रीमो मायावती इसके समर्थन में हैं।

वन नेशन वन इलेक्शन पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है। मोदी सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन पर रिपोर्ट बनाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में गृहमंत्री अमित शाह के अलावा विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद भी थे। इसके अलावा कमेटी में वित्त कमीशन के पूर्व चेयरमैन एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव और संविधान के विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी और मशहूर वकील हरीश साल्वे भी सदस्य थे। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को 2023 में सौंपी थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव के कारण वन नेशन वन इलेक्शन पर कोई कदम मोदी सरकार ने नहीं उठाया था।

बीते दिनों ही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि वन नेशन वन इलेक्शन से देश प्रगति की राह पर आगे बढ़ेगा। इसकी वजह ये कि एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे, तो खर्च कम होगा। देश में साल 1967 तक लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही होते रहे, लेकिन बाद में केंद्र और कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन की वजह से सरकारों के गिरने के कारण वन नेशन वन इलेक्शन नहीं हो सका। अभी देश में हर साल तमाम चुनाव कराए जाते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन के तहत साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होंगे और इसके 100 दिन के भीतर देशभर में स्थानीय निकायों के चुनाव कराने का प्रस्ताव है। वन नेशन वन इलेक्शन का नियम लागू करने के लिए देश के 50 फीसदी विधानसभाओं का अनुमोदन भी लेना होगा। इसके बगैर बिल कानून नहीं बन सकेगा।