नई दिल्ली। क्या आपको 5 अगस्त 2019 की वो तारीख याद है, जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। अगर हां…तो फिर तो आपको यह भी याद होगा कि कैसे जम्मू-कश्मीर के सियासी दलों के नेताओं ने केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। तब तो आपको यह भी होगा कि कैसे प्रदेश में सभी दलों के नेताओं ने केंद्र के फैसले के विरोध में बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया था, लेकिन अब इसी जम्मू-कश्मीर से सियासी दलों के बीच एकता की यह लड़ी टूटती हुई नजर आ रही है।
जी हां…वो इसलिए क्योंकि नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता उमर अब्दुल्ला के करीबी माने जाने वाले देवेंद्र सिंह राणा के पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि एक सप्ताह में वे अपने सभी कार्यों से निवृत्त हो जाएंगे। उनके साथ कई पार्टी के अन्य नेता भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। राणा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री व उधमपुर सिंह व कठुआ से सांसद हैं।
क्या होगा राणा का अगला कदम
राणा अब अपनी किसी दूसरी पार्टी में शामिल होंगे या अपना खुद का दल बनाकर आगे का सफर तय करेंगे। इसे लेकर फिलहाल कुछ भी अंतिम तौर पर कहना मुश्किल है, लेकिन उनके बीजेपी में जाने की चर्चा अपने चरम पर है। हालांकि, अभी तक खुद उन्होंने आगे आकर इस पर कोई अंतिम प्रतिपुष्टि नहीं दी है। अब ऐसे में उनका अगला कदम क्या होगा। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।
राणा के जाने से अब्दुल्ला को लगेगा झटका
इस बात में कोई दोमत नहीं है कि अगर राणा पार्टी से रुखसत होते हैं, तो उमर अब्दुल्ल के लिए बड़ा झटका साबित होगा। राणा पार्टी के मजबूत स्तंभ मजबूत माने जाते रहे हैं। इससे पहले भी उन्होंने कई मौकों पर पार्टी के बेहतर परिणाम सामने लाकर दिए हैं। ऐसे में उनका जाना सियासी तौर पर पार्टी के लिए बड़ी क्षति हो सकती है। वहीं, बताया जा रहा है कि विगत कई माह से राणा के कई नेताओं के साथ तनाव चल रहे थे, जिसके अब उन्होंने पार्टी से रुखसत होने का मन बना लिया है।