नई दिल्ली। चलिए, आज हम आपको बंगाल लेकर चलते हैं। जहां ममता बनर्जी उर्फ दीदी का राज चलता है। कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बिना उनकी इजाजत के परिंदे पर मारने तो पत्ते हिलने से भी खौफ खाते हैं। अब करें तो करें क्या। भैया सब दीदा का जलवा है। लेकिन दीदी के इस जलवे में बच्चों की बदहाली अपने चरम पर है। बाल मसलों को लेकर ममता सरकार की अंसेवदनशीलता आपकी रूह कंपा देगी। जिसकी तस्दीक विगत 24 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मालदा में हुए बम ब्लास्ट में पांच बच्चे घायल हो गए थे। लेकिन उक्त मामले में राज्य सरकार की असंवेदनशीलता के मद्देनजर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को हस्तक्षेप करना पड़ा। बता दें कि एनसीपीसीआर के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने पश्चिम बंगाल के प्रमुख और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर आगामी 10 दिनों में जांच रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही कानूनगो ने ब्लास्ट में हताहत हुए बच्चों के संदर्भ में रिपोर्ट मांगी थी।
वहीं, एनसीपीसीआर की तरफ से उपरोक्त ब्लास्ट की जांच कराने की मांग की गई थी, ताकि घटना की वजह जाहिर हो सकें। वहीं, शासन की तरफ सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के भी निर्देश दिए गए थे। इस संदर्भ में एनसीपीसीआर की ओर से पश्चिमी बंगाल सचिव को बकायदा पत्र भी लिखा गया था और मांग की थी कि उक्त घटना की उपयुक्त जांच की जाए और लापरवाहों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। लेकिन ममता सरकार की निर्ममता देख देखिए कि सचिव ने कोई प्रतिक्रिया देना जरूरी न समझा। सचिव की तरफ से दिखी उदासीनता को ध्यान में रखते हुए अब एनसीपीआर एक्शन में आ गई है। बता दें कि एनसीपीसीआर की तरफ से ममता के सचिव को पत्र लिखा गया है।
NCPCR chairman Priyank Kanoongo writes to West Bengal Chief Secretary & West Bengal DGP over inquiry into the incident of bomb blast that injured 5 children at Gopalnagar Village in Malda district of West Bengal pic.twitter.com/8zInTI4SGB
— ANI (@ANI) April 25, 2022
यही नहीं, पत्र में इस बार बकायदा जांच रिपोर्ट दाखिल करने की मियाद भी तय कर दी गई है। पत्र में कहा गया है कि 20 मई 2022 तक जांच रिपोर्ट आयोग को सौंपी जाए। इसके साथ ही एनसीपीसीआर की तरफ घायल हुए बच्चों को उचित चिकित्सक सहायता उपलब्ध नहीं करा पाने की वजह भी जानने की कोशिश की गई है। यही नहीं, एनसीपीसीआर ने अपनी तरफ से लिखे खत में यह भी कहा है कि यदि तय मियाद तक जांच रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई, तो उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। अब ऐसे में देखने वाली बात होगी कि उक्त पत्र को संज्ञान में लेने के उपरांत सचिव स्तर के तरफ से कोई कार्रवाई की जाती है की नहीं।