हाथरस। यूपी के हाथरस में 2 जुलाई को नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद हुई भगदड़ के मामले में और खुलासे हो रहे हैं। अखबार अमर उजाला के मुताबिक अब ये खुलासा हुआ है कि भोले बाबा के किसी भी सत्संग में मोबाइल और कैमरा ले जाने की मंजूरी नहीं होती थी। यहां तक कि पुलिस और प्रशासन के लोग भी अंदर नहीं जा पाते थे। भगदड़ वाले दिन भी ऐसा ही हुआ था। भगदड़ का कारण क्या था, इसका कोई वीडियो अब तक सामने नहीं आ सका है। साथ ही ये जानकारी भी पहले आ चुकी है कि पुलिस को सत्संग के पंडाल से बाहर ही रखा गया था।
वहीं, हाथरस के सिकंदराराऊ में हुई भगदड़ की जांच करने वाले न्यायिक आयोग को तमाम प्रत्यक्षदर्शियों ने बयान दिया है। रविवार तक 34 प्रत्यक्षदर्शियों ने बयान दर्ज कराया था। एक प्रत्यक्षदर्शी ने न्यायिक आयोग को बताया कि भोले बाबा ने सत्संग में आए लोगों से कहा था कि उनकी चरण रज लेकर जाना। इस चरण रज को लेने की वजह से भगदड़ मची। वहीं, हाथरस के ही देव चौधरी ने आयोग को बताया है कि एटा से आते वक्त मौके पर भगदड़ देखकर रुके। वहां भोले बाबा के कोई सेवादार नहीं दिखे और न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था ही थी।
नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के इस सत्संग में भगदड़ से 121 लोगों की जान गई। नाली और कीचड़ वाले खेत में गिरकर सबसे ज्यादा मौतें होने का मामला सामने आया है। इस घटना के 4 दिन बाद नारायण साकार हरि ने न्यूज एजेंसी एएनआई के वीडियो में सामने आकर कहा था कि वो बहुत दुखी हैं। साथ ही भोले बाबा ने ये भी कहा था कि उनको उम्मीद है कि घटना के दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी। वहीं, भोले बाबा के वकील ने नया दावा किया है। वकील का दावा है कि कुछ लोगों ने जहरीला स्प्रे किया और उसी वजह से भगदड़ मची।