newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

New Parliament Inauguration: 900 कारीगरों द्वारा 10 लाख घंटे में बनाया गया नई संसद भवन का शानदार कालीन, जानिए क्यों है खास ? 

New Parliament Inauguration: लोकसभा के कालीन में राष्ट्रीय पक्षी मोर और और राज्यसभा में राष्ट्रीय पुष्प कमल के उत्कृष्ट रूपों को दर्शाया गया है। यह कालीन देखने में बेहद खूबसूरत नजर आते हैं और हर कोई इनको देखकर खुश हो जाता है। ये कालीन तैयार करने वाली 100 साल से ज्यादा पुरानी भारतीय कंपनी ‘ओबीटी कार्पेट’ ने कहा कि बुनकरों ने लोकसभा और राज्यसभा के लिए 150 से ज्यादा कालीन तैयार किए और फिर उनकी 35,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैले दोनों सदनों की वास्तुकला के अनुरूप अर्ध-वृत्त के शिप में इन सभी कालीनों को सिला गया है। 

नई दिल्ली। आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन साबित हुआ, क्योंकि आज प्रधानमंत्री मोदी ने देश की नई संसद भवन का उद्घाटन किया। इसके साथ ही देश में ऐतिहासिक तौर पर सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक माने जाने वाले सेंगोल को भी संसद भवन में स्थापित किया गया। इस अवसर पर नए संसद भवन की ‘हर बारीकी’ चर्चा का विषय बनी हुई है। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के फर्श की शोभा बढ़ाने वाले कालीन की भी चर्चा है। बताया गया कि उत्तर प्रदेश के करीब 900 कारीगरों द्वारा 10 लाख घंटे तक बुनाई करके शानदार कालीन को बनाया गया है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि लोकसभा के कालीन में राष्ट्रीय पक्षी मोर और और राज्यसभा में राष्ट्रीय पुष्प कमल के उत्कृष्ट रूपों को दर्शाया गया है। यह कालीन देखने में बेहद खूबसूरत नजर आते हैं और हर कोई इनको देखकर खुश हो जाता है। ये कालीन तैयार करने वाली 100 साल से ज्यादा पुरानी भारतीय कंपनी ‘ओबीटी कार्पेट’ ने कहा कि बुनकरों ने लोकसभा और राज्यसभा के लिए 150 से ज्यादा कालीन तैयार किए और फिर उनकी 35,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैले दोनों सदनों की वास्तुकला के अनुरूप अर्ध-वृत्त के शिप में इन सभी कालीनों को सिला गया है।

गौर करने वाली बात यह है कि इनका कालीनों को तैयार करने वाली कंपनी‘ओबीटी कार्पेट’ के अध्यक्ष रुद्र चटर्जी ने इस बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘‘बुनकरों को 17,500 वर्ग फुट में फैले सदन कक्षों के लिए कालीन करने के लिए ड्यूटी पर रखा गया था। जाइन टीम के लिए यह बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उन्हें कालीन को अलग-अलग टुकड़ों में सावधानी से तैयार करना था और उन्हें यह सुनिश्चित करते हुए एक साथ जोड़ना था कि बुनकरों की रचनात्मक महारत कालीन को जोड़ने के बाद भी कायम रहे और कालीन ज्यादा लोगों की आवाजाही के बाद भी इन कालीनों में किसी प्रकार की कोई गंदगी दिखाई ना दे और ना ही किसी तरह से खराब हो। इनको बनाने के लिए 10 लाख घंटे का समय लगा है।