पटना। बिहार में नीतीश कुमार सरकार की तरफ से कराए गए जातिगत सर्वे के नतीजे आने के बाद लगातार इस पर सवाल उठ रहे हैं। एक तरफ तमाम लोग आरोप लगा रहे हैं कि उनके घर सर्वे करने वाले आए ही नहीं, वहीं राजनीतिक दल भी बिहार में जातिगत सर्वे पर सवाल उठा रहे हैं। अब निषाद समाज ने भी बिहार में जातिगत सर्वे पर सवाल उठाया है। निषाद समाज ने इसे अपने खिलाफ जेडीयू और आरजेडी की साजिश बताया है। निषाद समाज के लोगों ने सोमवार को पटना में इसी वजह से जातिगत सर्वे के नतीजों के खिलाफ प्रदर्शन किया।
VIDEO | Members of the Nishad caste are calling the Bihar caste survey a ‘conspiracy’ of JD(U) and RJD against the community.
On Monday, the Nishad community held a protest in Patna against the caste survey, alleging that Rs 500 crore was spent by the Nitish government to… pic.twitter.com/Y3R71tLUB8
— Press Trust of India (@PTI_News) October 10, 2023
निषाद समाज के लोगों ने प्रदर्शन के दौरान जमकर नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि जातियों को विभाजित करने की साजिश के तहत नीतीश कुमार की सरकार ने 500 करोड़ रुपए जातिगत सर्वे पर खर्च किए। उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि जातिगत सर्वे में निषाद समाज के लोगों की संख्या कम बताई गई है। पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी समाज के लोगों ने एकजुट होकर बिहार में हुए जातिगत सर्वे के खिलाफ आवाज भी उठाई और इसे अपने खिलाफ साजिश करार दिया है। अगर आने वाले वक्त में इसी तरह अलग-अलग समुदायों के लोग बिहार के जातिगत सर्वे पर सवाल उठाते रहे, तो इससे नीतीश कुमार सरकार को जवाब देना मुश्किल हो सकता है।
बिहार के जातिगत सर्वे के नतीजों में बताया गया है कि राज्य में मुसलमान 17.7088 फीसदी हैं। वहीं, यादवों को 14.2666 फीसदी, कुर्मी को 2.8785 फीसदी, कुशवाहा समाज को 4.2120 फीसदी, ब्राह्मण को 3.6575 फीसदी, भूमिहार को 2.8683 फीसदी, राजपूत को 3.4505 फीसदी, मुसहर को 3.0872 फीसदी, बनिया को 2.3155 फीसदी, कायस्थ समाज को 0.60 फीसदी और मल्लाह यानी निषाद समाज को 2.6086 फीसदी बताया गया है। जबकि, निषाद समाज के लोगों का दावा है कि वो 15 फीसदी की हिस्सेदारी आबादी में रखते हैं।