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Bihar: कानून मंत्री के बाद अब नीतीश के कृषि मंत्री विवादों में, चावल घोटाले ने बढ़ाई परेशानी

Bihar: आपको बता दें कि, ये मामला 2013 का है। जब उस वक्त एनडीए सरकार ने सुधाकर सिंह पर करोड़ो रुपये चावल गबन करने का केस दर्ज करवाया था। उस समय भी नीतीश कुमार राज्य के मुखिया थे। इतना ही नहीं मामले में राज्य सरकार ने 80 से अधिक FIR की थी और कई लोगों को आरोपी बनाया था।

नई दिल्ली। जबसे बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई है। तबसे महागठबंधन सरकार किसी ना किसी वजह से विवादों में घिरी हुई है। सीएम नीतीश कुमार को मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से ही मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। उनके मंत्रियों के बारे में हर रोज नए खुलासे पर महागठबंधन सरकार को लगातार जवाब देना पड़ रहा है। बीते दिनों राज्य के कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि उनके एक और मिनिस्टर पर बड़ा खुलासा हुआ है। इस बार कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Bihar Agriculture Minister Sudhakar Singh) विवादों में फंस गए है। सुधाकर सिंह पर बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, नीतीश कैबिनेट में शामिल सुधाकर सिंह पर साल 2013 में चावल गबन करने का आरोप लगा है। फिलहाल ये मामला न्यायालय के लंबित पड़ा है।

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आपको बता दें कि, ये मामला 2013 का है। जब उस वक्त एनडीए सरकार ने सुधाकर सिंह पर करोड़ो रुपये चावल गबन करने का केस दर्ज करवाया था। उस समय भी नीतीश कुमार राज्य के मुखिया थे। इतना ही नहीं मामले में राज्य सरकार ने 80 से अधिक FIR की थी और कई लोगों को आरोपी बनाया था। सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं और वे बक्सर की रामगढ़ सीट से विधायक हैं। हालांकि सुधाकर सिंह ने मामले में सफाई देते हुए अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया है कि जिस समय ये केस दर्ज हुआ था उस वक्त भाजपा गठबंधन वाली राज्य में सरकार थी। मीडिया से बात करते हुए ये भी कहा कि ये आरोप एकदम निराधार है और इस मामले में कोर्ट निर्णय लेगी। अब तक कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में है।

आरोपों के अनुसार, सुधाकर सिंह की राइस मिल ने प्रदेश सरकार से चावल को प्रोसेसिंग करने के लिए एक एग्रीमेंट किया था। जिसके बाद सरकार की ओर से जो चावल आया उसको सुधाकर सिंह ने वापस नहीं किया और गबन कर लिया। इतना ही नहीं उन पर ये भी आरोप है कि उन्होंने सरकार के भेजे चावल को खुले बाजार में बेच दिया और इससे बड़ा फायदा कमाया। खबरों के मुताबिक, इस चावल घोटाले के चलते प्रदेश सरकार को तकरीबन 1,573 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है।