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Bihar: बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव के आसार, अब सबकी निगाहें नीतीश पर, भाजपा ने भी रखी शर्त; अब इन ‘विकल्पों’ पर चर्चा तेज

Bihar: उन्होंने यह भी कहा कि हम पिछले कई सालों से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया। उधर, जिस तरह से नीतीश कुमार पिछले कई दिनों से केंद्र की मोदी सरकार के प्रति नरम नजर आ रहे हैं।

नई दिल्ली। वो और बात है कि अमित शाह ने साक्षात्कार में कह दिया हो कि अगर नीतीश कुमार की तरफ से एनडीए में शामिल होने का प्रस्ताव आता है, तो हम इस पर विचार करेंगे, मगर सच्चाई तो यह है कि बीजेपी का बड़ा खेमा नीतीश के पलटू मिजाज की वजह से उन पर भरोसा जताने से कतरा रहा है। सियासी पंडितों की माने तो आगामी लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार इस बात को भांप चुके हैं कि अगर उन्हें अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं की पूर्ति करनी है, तो बीजेपी का दामन थामना ही होगा। शायद इसलिए वो पिछले कई दिनों से एनडीए के प्रति नरम नजर आ रहे हैं। बीते दिनों जब केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया, तो नीतीश ने बिना मौका गंवाए केंद्र की मोदी सरकार की तारीफ की।

उन्होंने यह भी कहा कि हम पिछले कई सालों से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक किसी सरकार ने इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया। उधर, जिस तरह से नीतीश पिछले कई दिनों से केंद्र की मोदी सरकार के प्रति नरम नजर आ रहे हैं, उसे ध्यान में रखते हुए माना जा रहा है कि वो कभी-भी बीजेपी का नौका पर सवार हो सकते हैं, लेकिन आपको बता दें कि बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर नीतीश हमारे पाले में आना चाहते हैं, तो आ सकते हैं।

 

हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री हमारी पार्टी का ही होगा। उधर, बीजेपी के इस शर्त के बाद माना जा रहा है कि नीतीश कुमार विधानसभा को समय से पहले भंग कर सकते हैं। इसके लिए वो लगातार कानूनी विशेषज्ञों के संपर्क में बने हुए हैं। उनसे लगातार सुझाव ले रहे हैं। उधर, बीजेपी चाहती है कि कोई ऐसी तरकीब निकाली जाए, जिससे लोकसभा और बिहार विधानसभा के चुनाव एक साथ हो जाए। अगर ऐसा हुआ, तो यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि इससे बीजेपी को बड़ा सियासी फायदा पहुंचेगा।

बता दें कि बिहार में चल रही इसी राजनीतिक उठापटक को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने अपना झारखंड का दौरा भी रद्द कर दिया है, जिससे स्पष्ट है कि बिहार में खेला होना तय है। उधर, जीतनराम मांझी ने भी अपने बयान में स्पष्ट कर दिया है कि 25 जनवरी के बाद बिहार में खेला होना तय है। अब यह गठबंधन वाली सरकार नहीं चलेगी। दोनों ही पार्टियों में लगातार तनातनी चल रही है। वहीं, अगर बिहार में समयपूर्व विधानसभा भंग होती है, तो फिर से विधानसभा चुनाव के द्वार खुलेंगे, लेकिन क्या इस चुनाव में नीतीश को जीत मिलेगी। यह फिलहाल कह पाना मुश्किल है।