नई दिल्ली। बिहार के औरंगाबाद में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सालों बाद एक मंच पर दिखाई दिए। इस दौरान सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को आश्वस्त करते हुए कहा कि अब मैं इधर-उधर होने वाला नहीं हूं, आप लोगों के साथ ही रहूंगा, कहीं नहीं जाऊंगा। हालांकि उनकी इस बात पर पीएम भी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके। अब सवाल यह उठता है कि आखिर नीतीश कुमार की इस बात में कितना वजन है? नीतीश को उनके विरोधियों ने पलटूराम की संज्ञा दे रखी है क्यों कि मौका पड़ते ही नीतीश कब पलट जाएं ये उनके साथ सरकार में शामिल सहयोगी दलों को भी पता नहीं चल पाता, कम से कम उनका पुराना रिकॉर्ड तो इसी तरफ इशारा करता है।
अपने राजनीतिक जीवन में नीतीश एक नहीं बल्कि कई बार अपने सहयोगी दलों को झटका देकर विपक्षी पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना चुके हैं। इस बात का ताजा घटनाक्रम अभी कुछ समय पूर्व जनवरी में ही घटित हुआ जब उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव को झटका देते हुए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। इससे पहले भी नीतीश कई बार ऐसा काम कर चुके हैं।
नीतीश कुमार ने 2005 में पहली बार बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी। लगभग आठ साल के बाद नीतीश कुमार ने पहली बार 2013 में पाला बदला। उस समय नीतीश ने पीएम के रूप में नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का विरोध जताया था। नीतीश कुमार बीजेपी की तरफ से नरेंद्र मोदी को पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किए जाने से नाखुश थे।
साल 2014 में, बीजेपी के प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतने के बाद, नीतीश ने जदयू की हार की जिम्मेदारी ली। उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने जीतम राम मांझी को सीएम नियुक्त कर दिया। लालू यादव की राजद और कांग्रेस ने नीतीश की जदयू का समर्थन किया और नीतीश एक बार फिर विधानसभा में बहुमत परीक्षण में सफल रहे। इस तरह से जदयू-कांग्रेस-राजद के गठबंधन को महागठबंधन का नाम दिया गया। इस महागठबंधन ने 2015 में विधानसभा चुनाव के बाद मिलकर फिर सरकार बनाई और नीतीश सीएम तो लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने थे। इस चुनाव में राजद बड़े दल के रूप में थी। कुछ समय बाद महागठबंधन सरकार में राजद के महत्व से असंतुष्ट नीतीश कुमार का झुकाव बीजेपी की ओर हो गया। इसके बाद नीतीश कुमार ने 2017 में फिर से पलटी मारी और बीजेपी से हाथ मिला लिया। इसके बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बने। बीजेपी गठबंधन सरकार के एक साल पूरे होने पर, नीतीश कुमार ने बिहार में दो डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर असंतोष जताया और अन्य कई मतभेदों के बाद, अगस्त 2022 में बीजेपी से नाता तोड़ लिया। नीतीश कुमार ने कहा था कि बीजेपी हमारी पार्टी को खत्म करना चाहती है। उस समय लालू यादव की राजद ने उनका स्वागत किया और उनके सहयोग से नीतीश सीएम पद पर बने रहे। हालांकि जनवरी 2024 में नीतीश ने एक बार फिर तेजस्वी यादव को झटका देते हुए सरकार गिरा दी और फिर से भाजपा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं।