
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पर हुई चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने कहा, आज एनडीआरएफ की 16 बटालियन कार्यरत हैं। विपक्ष पर तंज कसते हुए शाह बोले, आपको थोड़ी तकलीफ होगी लेकिन मैं कह सकता हूं कि एनडीआरएफ की भगवा रंग की वर्दी लोगों को शांति देती है कि ये आ गए हैं तो हम बच जाएंगे। शाह ने कहा कि कुछ विपक्षी सदस्यों ने सवाल उठाया कि संशोधन की जरूरत क्या है? मैं बताना चाहता हूं कि अगर समय के साथ किसी इमारत की मरम्मत नहीं की जाए तो वो ढह जाती है। विपक्ष को लगता है कि शायद वो आकर संशोधन को बदल देंगे लेकिन मैं आपको बता दूं अगले 15-20 साल तक किसी की बारी नहीं आने वाली, जो करना है, हमें ही करना है।
#WATCH | Union Home Minister Amit Shah replies to debate in Rajya Sabha on Disaster Management (Amendment) Bill, 2024
He says, “Today 16 battalions of NDRF are working. It will hurt you a little, but I can say that the saffron-coloured uniform of NDRF gives peace to the people… pic.twitter.com/VmCJj2zKTE
— ANI (@ANI) March 25, 2025
गृहमंत्री ने बताया कि 2005 में पहली बार आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया गया था। इसके तहत एनडीएमए, एसडीएमए और डीडीएमए का गठन किया गया। राज्यसभा में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, संविधान की सातवीं अनुसूची के तीसरे भाग की प्रविष्टि संख्या 23 के अंतर्गत आपदा प्रबंधन का विषय आता है। आपदा प्रबंधन केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का मामला है। कई सदस्यों ने चिंता व्यक्त की कि इससे सत्ता का केंद्रीकरण हो सकता है और संघीय ढांचे को नुकसान पहुंच सकता है।
#WATCH | Union Home Minister Amit Shah replies to debate in Rajya Sabha on Disaster Management (Amendment) Bill, 2024
He says, “…Some members raised the question that what is the need for amendment. I want to tell them that if a building is not repaired in time, it… pic.twitter.com/VuzePbM4gJ
— ANI (@ANI) March 25, 2025
शाह बोले, मैं आपके माध्यम से पूरे सदन और सदन के माध्यम से पूरे देश और सभी राज्य सरकारों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह एक ऐसी लड़ाई है जिसमें हमारा उद्देश्य सिर्फ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को ही नहीं, बल्कि स्थानीय निकायों और हर नागरिक को भी शामिल करना है। इसमें सत्ता के केंद्रीकरण का कोई सवाल ही नहीं है। अगर आप पूरे विधेयक को ध्यान से पढ़ेंगे तो इसके क्रियान्वयन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन की है जो राज्य सरकार के अधीन है।