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अब ईसाई बहुल राज्यों में भी बजेगा BJP का डंका!, PM मोदी के इटली दौरे से मिले ऐसे संकेत

PM Modi’s visit to Italy: आपको बता दें कि पीएम मोदी ने पोप फ्रांसिंस को भारत आने का न्योता दिया है। उन्होंने पीएम मोदी के इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। खास बात यह है कि 21 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोप से यह मुलाकात हुई है।

नई दिल्ली। जी-20 सम्मेलन में शिरकत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय इटली दौरे पर हैं। वहां उन्होंने समूह के विभिन्न राष्ट्रध्यक्षों से मुलाकात की। विभिन्न राष्ट्रध्यक्षों से उनकी यह मुलाकात काफी आत्ममीयतापूर्ण रही, लेकिन इन सबसे खास रही उनकी पोप फ्रांसिस से मधुर मुलाकात। भारत में इस मुलाकात के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। खासकर गोवा विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस मुलाकात को विभिन्न चश्मों से देखा जा रहा है। कुछ लोग इसे गोवा में ईसाई समुदाय को रिझाने के ध्येय से देखा जा रहा है। खैर, अब इसका आगामी गोवा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कितना फायदा मिलता है और कितना नहीं। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।pm-modi-pope-francis

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने पोप फ्रांसिंस को भारत आने का न्योता दिया है। उन्होंने पीएम मोदी के इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। खास बात यह है कि 21 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोप से यह मुलाकात हुई है। इससे पहले दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पोप से मुलाकात की थी। उन्होंने पोप को भारत आने का न्योता भी दिया था, जिस पर कई कट्टरपंथी समूहों ने नाराजगी भी जाहिर की थी, लेकिन उन्होंने इन सब बातों की परवाह किए बगैर पोप से जिस आत्मीयतापूर्ण रीति से मुलाकात की है, वह आज भी इतिहास की इबारतों में दर्ज है। वहीं, यहां गौर करने वाली बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से पीएम मोदी के सियासी रूख में ईसाई समदाय के प्रति कुछ खास झुकाव देखा जा रहा है।

pm modi itly

कथित तौर पर ईसाई समुदाय बीजेपी से दूरी बनाए रखना ही उचित समझता है, जिसका नतीजा है कि आज तक ईसाई बहुल राज्यों में बीजेपी अपनी सरकार नहीं बना पाई है, लेकिन पिछले कुछ माह से पीएम मोदी ने ईसाइयों को रिझाने के अपने रूख में जिस तरह का परिवर्तन लेकर आए हैं, उसका आगामी गोवा चुनाव में बीजेपी को कितना फायदा मिलता है, यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन शायद आपको पता न हो कि भारतीय ईसाई समुदाय में पीएम मोदी के ईटली दौरे को लेकर खुशी की लहर है। जिसे उन्होंने ट्विटर पर जाहिर किया है। आइए,  जानते हैं कि किसने क्या कहा है?

वहीं, पीएम मोदी के इटली दौरे को लेकर फादर एस शंकर, प्रवक्ता, दिल्ली कैथोलिक आर्चडायसीज ने कहा कि, यह सिर्फ ईसाइयों के लिए ही नहीं बल्कि हर भारतीय के लिए बड़ी खुशखबरी है। हम चाहते थे कि पोप भारत आएं। हमें उम्मीद है कि पोप की यात्रा अंतर-धार्मिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के अवसर के रूप में आएगी।

उधर, बॉम्बे के आर्कबिशप ओसवाल्ड ग्रेसियस कहते हैं, “पीएम मोदी और पोप फ्रांसिस के बीच बैठक का महत्व सहयोग की आवश्यकता और उपयोगिता को दिखाएगा।”

वहीं, जॉन बरवा, कटक-भुवनेश्वर के आर्कबिशप और ओडिशा में चर्चों के प्रमुख इसके साथ ही भारतीय ईसाई बहुत खुश हैं कि हमारे पीएम हमारे पोप से मिले हैं। निश्चय ही संबंध प्रगाढ़ होंगे। हम कई वर्षों से इस बैठक का इंतजार कर रहे थे। हम खुश हैं और इसके बारे में गर्व महसूस करते हैं

केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ने एक बयान में कहा कि    पोप की यात्रा ईसाई धर्म और इस राष्ट्र के अन्य धार्मिक समूहों के बीच संवाद के मार्ग को सुगम बनाएगी। पोप की यात्रा भारत के पॉलीफोनिक समाज के बीच भाईचारे और सहयोग को भी बढ़ावा देगी।

वहीं, पीएम मोदी के इटली दौरे के दौरान राजनीतिक गलियारों में भी हलचल देखी जा रही है।  विभिन्न राजनीतिक दल के नेता इस पर अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में कोरान संगमा ने ट्वीट कर कहा कि हमारा फ़ीड आज माननीय पीएम श्री के साथ धन्य है। @नरेंद्र मोदी जी परम पावन से मुलाकात @ पोंटिफेक्स वेटिकन में। यह भारत और दुनिया भर के ईसाइयों के लिए बहुत महत्व का एक ऐतिहासिक क्षण है। भगवान उन्हें आशीर्वाद दें।


बीजेपी के नेता टॉम वेदकन ने कहा कि   लोकतांत्रिक भावना और ईसाई धर्म के सर्वोपरि प्रतिनिधियों का एक महत्वपूर्ण संगम। ​​महान दिमाग दुनिया को एक बेहतर जगह बनाते हैं। प्रेम और करुणा, महान दिमाग स्वर्ग को धरती पर लाते हैं।


वहीं, पीएम मोदी के ईटली दौरे को सियासी गलियारों में गोवा के आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। कथित पर पीएम मोदी ने यह दौरा  प्रदेश की इसाई समुदायों को रिझाने के ध्येय से किया है। आमतौर पर देखा जाता है कि पीएम मोदी ने अपने सियासी कुशलता का परिचय देते हुए  आम जनमानस को रिझाने का काम करते हैं।