
नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की MCD चुनाव में बड़ी जीत के बाद भी मेयर का चुनाव 3 बार मीटिंग रद्द होने की वजह से नहीं हो सका। अब दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्थायी समिति के मेयर, डिप्टी मेयर और छह सदस्यों के चुनाव के लिए 22 फरवरी को स्थगित दिल्ली नगर निगम की पहली बैठक बुलाने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी है। इसके पहले शनिवार को ही केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली मेयर चुनाव मामले में एलजी सक्सेना पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में सच्चाई बताने से रोकने की कोशिश की। एलजी ने वकील को लेकर सेक्रेटरी को आदेश दिए और एससी में दोनों पक्षों के वकील तय किए। LG ने वकील तुषार मेहता को वकील बनाया, जबकि वह पहले से ही हमारी सरकार का मुकदमा लड़ रहे थे।
आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को उप राज्यपाल वी.के.सक्सेना से 22 फरवरी को महापौर चुनाव कराने की सिफारिश की थी। मुख्यमंत्री की सिफारिश उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद आई है,जिसमें महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव कराने के लिए 24 घंटे के भीतर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की पहली बैठक बुलाने का आदेश दिया गया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को यह भी कहा था कि उप राज्यपाल द्वारा एमसीडी में मनोनीत सदस्य महापौर के चुनाव में वोट नहीं कर सकेंगे।
इस बारे में बताते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने एक ट्वीट में लिखा, ”दिल्ली नगर निगम के महापौर का चुनाव 22 फरवरी को कराने की सिफारिश की है।” दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 के मुताबिक, महापौर और उप महापौर का चुनाव एमसीडी चुनाव के बाद सदन की पहली बैठक में किया जाना चाहिए। पिछले साल चार दिसंबर को नगर निकाय चुनाव हुआ था और नतीजे आने के दो महीने बीत जाने के बावजूद अबतक महापौर नहीं चुना जा सका है। एमसीडी की अबतक हुई तीन बैठकों में मनोनीत सदस्यों के मताधिकार को लेकर आप और भाजपा के बीच जारी गतिरोध के कारण महापौर का चुनाव नहीं कराया जा सका।