मुंबई। महाराष्ट्र में सत्ता गंवाने के बाद अब उद्धव ठाकरे शिवसेना को एकनाथ शिंदे गुट के हाथ में जाने की आशंका से परेशान हैं। दरअसल, एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि विधानसभा में असली शिवसेना उनका ही गुट है। ऐसे में अब उद्धव ठाकरे पार्टी को अपने हाथ में ही बनाए रखने के लिए कानूनी दांव-पेच में जुट गए हैं। उद्धव के आदेश पर शिवसेना के सभी पदाधिकारियों से 2 दिन में वफादारी का हलफनामा मांगा गया है। इस हलफनामे में पदाधिकारी को लिखना होगा कि वो शिवसेना के संविधान, बालासाहेब ठाकरे और उद्धव ठाकरे के प्रति वफादारी रखता है।
उप शाखा प्रमुख शिवसेना के सबसे छोटे पदाधिकारी हैं। इनसे लेकर सबसे बड़े पदाधिकारियों से वफादारी का हलफनामा मांगा गया है। सूत्रों के मुताबिक अगर शिवसेना पर दावेदारी को लेकर उद्धव और एकनाथ शिंदे गुट के बीच कानूनी जंग छिड़ी, तो पदाधिकारियों का हलफनामा इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, इसमें पेच ये भी है कि हलफनामा सिर्फ 6 महीने तक ही वैध होता है। अगर शिवसेना पर कब्जे की जंग 6 महीने बाद छिड़ती है, तो उद्धव को एक बार फिर सभी पदाधिकारियों से वफादारी का हलफनामा लेना होगा। उस वक्त तक सियासी हालात किसके पक्ष में करवट लेंगे, इस बारे में आज कोई भी नहीं जानता है।
बता दें कि अभी एकनाथ शिंदे का दावा है कि पार्टी के 55 में से 39 विधायक उनके साथ हैं। खबरें ये भी हैं कि शिवसेना के 19 लोकसभा सांसदों में से 12 से 14 सांसद भी शिंदे के पक्ष में हैं। जबकि, शिवसेना के सिंबल पर कब्जा करने के लिए शिंदे गुट को पार्टी के सभी पदाधिकारियों में से कम से कम दो-तिहाई को अपने पक्ष में करना होगा। इनमें शिवसेना के टिकट पर चुने गए सभी जनप्रतिनिधि भी हैं। अगर शिंदे ऐसा न कर सके, तो उद्धव ठाकरे राहत की सांस ले सकेंगे, लेकिन फिलहाल तो उनकी रातों की नींद पार्टी गंवाने की चिंता से उड़ी हुई दिख रही है।