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कभी मार्गरेट अल्वा ने सोनिया गांधी की उड़ा दी थी धज्जियां, अब उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनने पर कांग्रेस में मच गई खलबली

आपको बता दें कि मार्गरेट ने कभी सोनिया गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वे पार्टी में मनमाने ढंग से काम करती हैं। किसी को भी तरजीह नहीं देती हैं। पार्टी में निरंकुश स्थिति बन चुकी है। उन्होंने सोनिया गांधी को सवालिया कठघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि पार्टी में लोकतांत्रिक व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है।

नई दिल्ली। आखिरकार काफी लंबे विचार-विमर्श के उपरांत यूपीए ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है। ध्यान रहे कि विपक्ष ने यह ऐलान एनडीए द्वारा उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम का ऐलान किए जाने के बाद किया है। सत्तारूढ़ दल ने जहां आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को चुनावी मैदान में उतारकर एक तीर से कई निशाने किए हैं, तो वहीं विपक्ष ने इसका तोड़ निकालते हुए उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में मार्गरेट आल्वा को चुनावी मैदान में उतारा है। इनके भी ताल्लुकात राजस्थान से रहे हैं। उत्तराखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं, लेकिन इस बीच उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मार्गेरेट के संदर्भ में बड़ी जानकारी सामने आई है कि जिस मार्गेरेट को विपक्ष ने चुनावी मैदान में उतारा है, कभी उसी ने ही कांग्रेस की अंतरिम अध्य़क्ष सोनिया गांधी की जमकर क्लास लगा दी थी। उन पर ऐसे गंभीर सवाल उठाते थे कि जिसका जवाब भी कांग्रेस के किसी भी नेता के पास नहीं था।

आपको बता दें कि मार्गरेट ने कभी सोनिया गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वे पार्टी में मनमाने ढंग से काम करती हैं। किसी को भी तरजीह नहीं देती हैं। पार्टी में निरंकुश स्थिति बन चुकी है। उन्होंने सोनिया गांधी को सवालिया कठघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि पार्टी में लोकतांत्रिक व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। पार्टी में जनता की आवाज की तो बात ही छोड़ दीजिए, बल्कि नेताओं के आवाज को ही जगह नहीं मिल पा रही है। आल्वा ने अपनी किताब में लिखा था कि साल 2011 में मनमोहन सिंह कैबिनेट में उन्हें शामिल करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा होने नहीं दिया था। आल्वा ने अपनी किताब में सोनिया गांधी का नरसिम्हा राव के साथ रिश्ते में हुए तनातनी का भी जिक्र किया था।

ध्यान रहे कि इससे पहले वे सचिन पायलट को भी निशाने पर ले चुके हैं। लेकिन, अब जिस तरह विपक्ष ने आल्वा को उपराष्ट्रपति चुनाव में बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारने का निर्णय लिया है, उसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है। अब ऐसे में आगामी दिनों में महामहिम की कुर्सी पर विराजमान कौन होता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।