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Palghar: पानी लाने के लिए कई किलोमीटर जाती थी मां, 14 साल के बेटे ने देखा और कुंए को ‘पास खींच’ लाया, कलयुग का अद्भुत श्रवण कुमार

Palghar: दिन रात एक कर के जब प्रणव ने कुए की खुदाई शुरू की थी तब जमीन सूखी थी लेकिन धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी और आखिरकार कुएं की खुदाई के बाद जब साफ पानी न‍िकलने लगा तब लड़के की खुशी की कोई सीमा नहीं थी।

मुंबई। इतिहास से लेकर अब तक मां के ऊपर कई कविताएं, कहानियां और फिल्में बनी हैं। लेकिन आज भी जब कहीं मां बाप और बेटे के रिश्ते का जिक्र आता है तो भगवान राम के काल की उस कहानी का जिक्र जरूर होता है जहां श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता पिता को तराजू में बैठाकर तीर्थ यात्रा पर निकलने का निश्चय किया था। लेकिन आज की दुनिया में ऐसे लड़के कम ही देखने को मिलते हैं जो अपने माता पिता को लेकर इतनी ज्यादा संजीदा हों। लेकिन महाराष्ट्र से एक ऐसा कैसा सामने आया है जो श्रवण कुमार की कहानी को एक बार फिर जीवित करता हुआ दिखाई दे रहा है। हम आपको कहानी सुनाने जा रहे हैं मुंबई से 128 किलोमीटर दूर पालघर जिले के प्रणव रमेश सालकर की। ज‍िन्‍होंने इस महीने की शुरुआत में अपनी मां के लिए केल्वे गांव में अपनी झोपड़ी के पास कुआं खोदा। उन्होंने शनिवार को कहा क‍ि मुझे खुशी है कि अब ‘आई’ को पानी लाने के ल‍िए रोजाना कई किलोमीटर यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि प्रणब सालकार 9वीं कक्षा का छात्र है केल्वे के पास मौजूद अपने आदिवासी गांव धावन्गे के पाड़ा में रहता है। जैसे ही एक इतने छोटे बच्चे द्वारा अपनी मां की आराम के लिए कुआं खोदने की खबर आई वैसे ही है देशभर में वायरल हो गई और आज उसको सिर्फ महाराष्ट्री नहीं बल्कि देशभर में ‘श्रवणबाल’ के रूप में पहचाना जाता है। प्रणब सालकर को जिला परिषद के अधिकारियों ने सम्मानित किया और उसके सराहनीय काम के लिए उसे 11,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया है।

दिन रात एक कर के जब प्रणव ने कुए की खुदाई शुरू की थी तब जमीन सूखी थी लेकिन धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी और आखिरकार कुएं की खुदाई के बाद जब साफ पानी न‍िकलने लगा तब लड़के की खुशी की कोई सीमा नहीं थी। बड़े ही भावुक होकर प्रणव के पिता रमेश ने बताया कि उन्होंने 20 फीट की ‘बावड़ी’ को मजबूत करने के लिए मिट्टी का ‘कट्टा’ बनाने में उनकी मदद की। आज देशभर में इस नन्हे श्रवण कुमार की तारीफ हो रही है और इस को सम्मान भी मिल रहा है।