नई दिल्ली। पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। योगगुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए। बाबा रामदेव ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं होने पर बिना किसी शर्त के माफी मांग ली। हालांकि कोर्ट ने माफी को स्वीकार न करते हुए पतंजलि की तरफ से दाखिल हलफनामे पर असंतोष जताया और फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि पतंजलि के कार्यकलापों में केन्द्र और राज्य सरकार दोनों शामिल हैं! केंद्र सरकार को बताना होगा कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि, कोर्ट के आदेश के बावजूद भ्रामक और गलत दावे करती रही और सरकार ने आंखें बंद कर ली थीं। आयुष मंत्रालय को जवाब देना होगा।
VIDEO | Misleading ads case: Yoga guru Baba Ramdev and Acharya Balkrishna arrive at Supreme Court for hearing.
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— Press Trust of India (@PTI_News) April 2, 2024
कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से भी पूछा कि केंद्र की सलाह के बाद उसने क्या कदम उठाए। केंद्र से भी हलफनामा दाखिल करने को कहा कि उसने दवाओं के भ्रामक विज्ञापन रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने हालांकि योग के लिए बाबा रामदेव की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने योग के लिए अच्छा काम किया है लेकिन कानून के खिलाफ इस तरह के विज्ञापन नहीं दिए जा सकते। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अब 10 अप्रैल को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के सामने ये सुनवाई हुई। कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों और उनके चिकित्सकीय प्रभावों के विज्ञापनों से संबंधित अवमानना कार्यवाही के मामले में 19 मार्च को रामदेव और बालकृष्ण से व्यक्तिगत रूप से अपने समक्ष पेश होने को कहा था।
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि पहले जो हुआ, उसके लिए आप क्या कहेंगे? बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर कहा कि सर्वोच्च अदालत ही नहीं, देश की किसी भी अदालत का आदेश हो, उसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने पतंजलि की माफी को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने कहा कि आपने क्या किया है, उसका आपको अंदाजा नहीं है। हम अवमानना की कार्यवाही करेंगे। इस मामले की 10 अप्रैल को दोबारा सुनवाई होगी। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।