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VIDEO: जिले का नाम डॉ भीम राव आंबेडकर किए जाने से भड़के थे लोग, कर दिया MLA के घर को ही आग के हवाले

आपको बता दें कि विधायक पोन्नाद सतीश वर्तमान सरकार में परिवहन मंत्री हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उग्र प्रदर्शनकारियों ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया। माना जा रहा है कि सुरक्षाकर्मी विधायक के घर की सुरक्षा करने में असमर्थ रही थी। हालांकि, पुलिस द्वारा उग्र भीड़ को काबू में करने की कोशिश की गई है।

नई दिल्ली। आपको तो पता ही होगा कि भारतीय राजनीति में नाम परिवर्तन का मुद्दा कितना चर्चा में रहता है। कभी किसी ऐतिहासिक इमारत का नाम बदलने की मांग उठा दी जाती है, तो कभी किसी भवन तो कभी सड़क। जिसको लेकर कभी विरोध किया जाता तो कभी समर्थन। इसी कड़ी में आंध्रप्रदेश के कोनासीमा जिले का नाम डॉ भीम राव आंबेडकर किए जाने का विरोध किया जा रहा था। लेकिन लोगों को लग कि उनके द्वारा किए जा रहे विरोध की कोई तासीर नजर नहीं आ रही है, तो उन्होंने अपने रोष को व्यक्त करने हेतु विधायक पोन्नादा सतीश के घर को आग के हवाला कर दिया, जिसका वीडियो भी अभी  सोशल मीडिया पर खासा तेजी से वायरल हो रहा है। आइए, हम आपको आगे की रिपोर्ट में उस वीडियो से रूबरू कराते हैं।

 देखिए ये वीडियो…!!

आपको बता दें कि विधायक पोन्नाद सतीश वर्तमान सरकार में परिवहन मंत्री हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उग्र प्रदर्शनकारियों ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया। माना जा रहा है कि सुरक्षाकर्मी विधायक के घर की सुरक्षा करने में असमर्थ रही थी। हालांकि, पुलिस द्वारा उग्र भीड़ को काबू में करने की कोशिश की गई है। वहीं, पुलिस ने उग्र भीड़ में शामिल सभी लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। अब माना जा रहा है कि पुलिस इन सभी लोगों के खिलाफ आगामी दिनों में कड़ी कार्रवाई करेगी। अब ऐसी स्थिति में देखना होगा कि पुलिस आगे चलकर उग्र भीड़ में शामिल लोगों के खिलाफ क्या कुछ कार्रवाई करती है। तब तक के लिए आप देश –दुनिया की  तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए न्यूज रूम पोस्ट .कॉम

वहीं, जाते-जाते आप यह भी जान लीजिए कि इस मामले के बहाने एक बार फिर से अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बहस का सिलसिला शुरू हो चुका है। सवाल किया जा रहा है कि आखिर क्यों बार–बार शासन या प्रशासन द्वारा लिए गए किसी भी फैसले का विरोध करने हेतु हिंसा का रुख अख्तियार किया जाता है। हालांकि, यह कोई इकलौता ऐसा मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई ऐसे मामले प्रकाश में आ चुके हैं, जब लोगों सरकार के किसी भी कदम का विरोध करने हेतु हिंसा का रास्ता अपनाया जाता रहा है।