
नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की उपस्थिति पर रोक लगाने, मौजूदा वक्फ भूमि को गैर-अधिसूचित करने, नए कानून के तहत कलेक्टर को दी गई शक्तियों पर विचार किया। हालांकि मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच ने इस संबंध में आज कोई आदेश पारित नहीं किया। अब मामले में कल दोपहर 2 बजे फिर से सुनवाई होगी।
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि वक्फ अधिनियम की धारा 3, 9, 14, 36 और 83 में किए गए संशोधन उनके मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं। कानून के विरोध में दायर याचिकाओं में से एक याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह संशोधित अधिनियम संविधान की धारा 25 और 26 का उल्लंघन करता है। सिब्बल ने कहा कि पहले केवल मुस्लिम ही वक्फ बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे लेकिन अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि संशोधन बिल्कुल सही हैं और, अगर आप संशोधनों को देखें, तो यह किसी भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं करता है।
VIDEO | Delhi: Here what petitioner counsel and advocate Barun Kumar Sinha said on Supreme Court hearing pleas against constitutional validity of the Waqf (Amendment) Act 2025:
“Today the hearing of all the pleas challenging Waqf (Amendment) Act was done in Supreme Court. Both… pic.twitter.com/vIvdh7UBWe
— Press Trust of India (@PTI_News) April 16, 2025
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने भी अपनी टिप्पणी में कहा है कि कई संशोधन संविधान के अनुसार ही हैं, लेकिन न्यायालय को वक्फ भूमि के उपयोगकर्ताओं पर स्पष्टीकरण चाहिए। मुस्लिम पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से दलील दी कि वक्फ संशोधन कानून से 8 लाख वक्फ संपत्तियों में से 4 लाख तो यूं ही चली जाएगी। इस पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खन्ना बोले, हमें जानकारी दी गई है कि दिल्ली हाई कोर्ट की जमीन पर भी वक्फ भूमि का दावा है। सीजेआई ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सभी वक्फ बाय यूजर गलत हैं, लेकिन यह चिंताजनक है।