
नई दिल्ली। जरा याद कीजिए, उन दिनों को, जब पूरी दुनिया कोरोना के खौफ के साए में जीने को मजबूर हो चुकी थी। लोग पाबंदियों के लिबास में लिपट चुके थे। लगा था, जैसे अब यूं ही जीना पड़ेगा, लेकिन गनीमत रही कि समय रहते कोरोना को मुंहतोड़ जवाब देने वाली वैक्सीन बाजारों में आ गईं। कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए, तो अधिकांश परिस्थितियों में वैक्सीन कारगर ही साबित हुई। सभी देशों ने कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीन का उत्पादन शुरू किया, जो नहीं कर पाई, वो दूसरे देशों पर आश्रित रही। वहीं, अगर भारत की बात करें, तो भारत ने एक या दो नहीं, बल्कि बेशुमार वैक्सीन का उत्पादन किया, लेकिन इस बीच राजनीति करने के नाम पर कई ऐसे राजनेता सामने आए, जिन्होंने स्वेदशी वैक्सीन की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए विदेशी वैक्सीन की वकालत की थी।
वहीं, विदेशी वैक्सीन भारत नहीं लाने पर विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने से भी बाज नहीं आई। इन राजनेताओं ने महज राजनीति चमकाने के लिए ना महज स्वदेशी वैक्सीन पर सवाल उठाए, बल्कि खुद भी वैक्सीन लेने से इनकार कर दिया, लेकिन बाद में भारतीय वैक्सीन विदेशी वैक्सीन की तुलना में कहीं अधिक कारगर साबित हुई। इतना ही नहीं, कई देशों ने भारतीय वैक्सीन प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार से गुहार भी लगाई। जिससे इन सभी राजनेताओं को मुंहतोड़ जवाब भी मिला।
इस बीच वैक्सीन बनाने वाली अमेरिकन कंपनी फाइजर की कलई खुलकर सामने आ गई और कलई किसी और ने नहीं, बल्कि मीडिया ने ही खोली है, जिसका वीडियो भी प्रकाश में आया है। आपको बता दें कि फाइजर वैक्सीन बनाने वाली विदेशी कंपनी है, जिसने कोरोना काल में वैक्सीन बनाई। लेकिन फाइजर पर आरोप है कि इसके द्वारा बनाई गई वैक्सीन कारगर नहीं निकली है, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा है। यही नहीं, कंपनी पर आरोप है कि इन्होंने वैक्सीन का उत्पादन कर अनैतिक तरीके से लाभ भी अर्जित किया है, जिसे लेकर बीते दिनों फाइजर की आलोचना भी हुई थी। वहीं, बीते बुधवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक के दौरान फाइजर के सीईओ से मीडियाकर्मियों ने कुछ तीखे सवाल किए, लेकिन सीईओ ने किसी भी सवाल का जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।
पत्रकारों ने सवालों की दरिया बहा दी, लेकिन फाइजर के सीईओ महज थैंक्यू कहकर रूखसत हो गए। यही नहीं, पत्रकारों ने उन पर लगे संगीन आरोपों के संदर्भ में भी सवालों की रैला लगाई, लेकिन सीईओ ने किसी भी सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझा। जिसके बाद अब उन्हें लेकर हो रही आलोचनआओं का रंग और गहरा हो चुका है। उधर, किसी भी सवाल का जवाब नहीं देने की स्थिति में फत्रकारों ने सीईओ से सैम ऑन यू कहने में भी गुरेज नहीं किया जिससे यह साफ जाहिर होता है कि उनके प्रति लोगों के जेहन में मीडिया में कितना रोष है। आइए, आगे आपको उन सवालों के बारे में जरा विस्तार से बताते हैं, जो कि उनसे पूछे गए थे।
Pfizer CEO gets ambushed in Davos on the company’s vaccine pic.twitter.com/rVdbfR6IV9
— Shiv Aroor (@ShivAroor) January 19, 2023
दरअसल, फाइजर के सीईओ से पूछा गया था कि मिस्टर बोर्ला, क्या मैं आपसे पूछ सकता हूं, कि आपको कब पता चला कि टीकों ने कोविड ट्रांसमिशन फैलाना बंद नहीं किया है? आखिर आपने इसे पहले सार्वजनिक करना उचित नहीं समझा। हालांकि, जर्नलिस्ट एज्रा लेवंत यहीं नहीं रूके और उन्होंने इसके बाद एक फॉलो-अप सवाल उठाया, कि फाइजर ने टीकों के प्रसारण (कोविड के) को नहीं रोकने के बारे में एक रहस्य क्यों रखा हुआ है। इसके साथ ही पत्रकारों ने आगे सवाल किया कि “आपने कहा था, कि यह वैक्सीन 100% प्रभावी है, फिर आपने उसे 90% कहा , फिर 80%, और फिर 70%, लेकिन अब हम जानते हैं, कि आपका वैक्सीन वायरस के प्रसार को नहीं रोक रहे हैं। आप उस राज को क्यों रखते हैं? लेकिन उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब देना उचित नहीं समझा।
इतना ही नहीं, फाइजर के सीईओ से जब पत्रकारों ने सवाल पूछा था कि आपके ऊपर वैक्सीन बेचकर लाखों करोड़ रुपए की ठगी करने का आरोप है, आप इस पर क्या कहना चाहेंगे, लेकिन बता दें कि सीईओ ने इस पर कोई रिएक्शन देना उचित नहीं समझा। बहरहाल, अब इस वीडियो के प्रकाश में आने के बाद विवादों का बाजार गुलजार हो चुका है। अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम