नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार ने रविवार को किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत एक लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा को लॉन्च किया। इसी के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल कार्यक्रम में एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा किसानों को 17 हजार करोड़ रुपये की राशि जारी की।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए भगवान बलराम जयंती की शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने पीएम-किसान योजना के तहत 8.55 करोड़ किसानों को 17,100 करोड़ रुपये की छठी किस्त जारी की।
Delhi: Prime Minister Narendra Modi launches financing facility under Agriculture Infrastructure Fund and releases benefits under PM-KISAN scheme via video conferencing. pic.twitter.com/zpLLUHOKxj
— ANI (@ANI) August 9, 2020
योजना के शुभारंभ पर पीएम मोदी ने कहा, साढ़े 8 करोड़ किसान परिवारों के खाते में, पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में 17 हज़ार करोड़ रुपए ट्रांस्फर करते हुए भी मुझे बहुत संतोष हो रहा है। संतोष इस बात का है कि इस योजना का जो लक्ष्य था, वो हासिल हो रहा है। बीते डेढ़ साल में इस योजना के माध्यम से 75 हज़ार करोड़ रुपये सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा हो चुके हैं। इसमें से 22 हज़ार करोड़ रुपये तो कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान किसानों तक पहुंचाए गए हैं।
इसके साथ-साथ साढ़े 8 करोड़ किसान परिवारों के खाते में, पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में 17 हज़ार करोड़ रुपए ट्रांस्फर करते हुए भी मुझे बहुत संतोष हो रहा है।
संतोष इस बात का है कि इस योजना का जो लक्ष्य था, वो हासिल हो रहा है: PM @narendramodi #AatmaNirbharKrishi
— PMO India (@PMOIndia) August 9, 2020
पीएम मोदी ने कहा, इस योजना से गांव में किसानों के समूहों को, किसान समितियों को, FPOs को वेयरहाउस बनाने के लिए, कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए, फूड प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग लगाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की मदद मिलेगी। पहले e-NAM के ज़रिए, एक टेक्नॉलॉजी आधारित एक बड़ी व्यवस्था बनाई गई। अब कानून बनाकर किसान को मंडी के दायरे से और मंडी टैक्स के दायरे से मुक्त कर दिया गया।
पीएम मोदी ने कहा कि अब कानून बनाकर किसान को मंडी के दायरे से और मंडी टैक्स के दायरे से मुक्त कर दिया गया। अब किसान के पास अनेक विकल्प हैं। अगर वो अपने खेत में ही अपनी उपज का सौदा करना चाहे, तो वो कर सकता है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत हर जिले में मशहूर उत्पादों को देश और दुनिया के मार्केट तक पहुंचाने के लिए एक बड़ी योजना बनाई गई है। अब हम उस स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां गांव के कृषि उद्योगों से फूड आधारित उत्पाद शहर जाएंगे और शहरों से दूसरा औद्योगिक सामान बनकर गांव पहुंचेगा।
निधि की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज के अंतर्गत की थी। इस एक लाख करोड़ रुपये के फंड का इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में कृषि क्षेत्र से संबंधित ढांचे के विकास के लिए किया जाएगा जैसे कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठन और कृषि उद्यमी सहित कई अन्य को इससे मदद मिलेगी। फंड के जरिए किए जाने वाले कार्यों में कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, कलेक्शन सेंटर और प्रोसेसिंग यूनिट जैसी इकाइयों की स्थापना की जाएगी जिससे फसल के बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
सरकार के मुताबिक, उत्पादन के बाद फसलों के प्रबंधन से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास में भी इससे सहायता मिलेगी। किसानों के लिए फार्म-गेट के आसपास के क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में कोल्ड चेन और कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे की कमी को देखते हुए इसकी घोषणा की गई है।