नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर अपनी तरफ से परैड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले NCC कैडेट्स, NSS वॉलेंटियर्स और सांस्कृतिक कलाकारों से संवाद कर रहे थे। इसी दौरान प्रधानमंत्री ने देश की जनता के सामने बारत की परिभाषा का उल्लेख किया। इस मौके पर अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि कोरोना ने वाकई बहुत कुछ बदल कर रख दिया है। मास्क, कोरोना टेस्ट, दो गज दूरी, ये सब रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। इसके बावजूद भी आपके उत्साह, आपकी उमंग में कोई कमी नजर नहीं आती है।
राजपथ पर जब आप जोश के साथ कदम-ताल करते हैं तो हर देशवासी उत्साह से भर जाता है। जब आप भारत की समृद्ध कला, संस्कृति, परंपरा और विरासत की झांकी दिखाते हैं तो हर देशवासी का माथा गौरव से ऊंचा हो जाता है। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस की परेड भारत की महान सामाजिक, सांस्कृतिक विरासत के साथ ही, हमारी सामरिक ताकत को भी नमन करती है। ये परेड दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को जीवंत करने वाले हमारे संविधान को नमन करती है।
पीएम मोदी ने कहा इस वर्ष हमारा देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस वर्ष गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व भी है। इसी वर्ष हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्मजयंती भी बना रहे हैं। अब देश ने यह तय किया है कि नेताजी के जन्म दिवस को हम पराक्रम दिवस के रूप में मनाएंगे।
उन्होंने कहा हमें देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का अवसर नहीं मिला। लेकिन हमें देश ने अपना सर्वश्रेष्ठ अर्पित करने का अवसर जरूर दिया है। हम देश को मजबूत बनाने के लिए जो कर सकते हैं, वो करते ही रहना चाहिए। गणतंत्र दिवस की तैयारियों के दौरान आपने भी महसूस किया होगा कि हमारा देश कितनी विविधताओं से भरा है। अनेकों भाषाएं, अनेकों बोलियां, अलग-अलग खान-पान कितना कुछ अलग है, लेकिन भारत एक है।
भारत यानी कोटि-कोटि सामान्य जन के खून पसीने, आकांक्षाओं, अपेक्षा की सामूहिक शक्ति।
भारत यानी राज्य अनेक, राष्ट्र एक।
भारत यानी समाज अनेक, भाव एक।
भारत यानी पंथ अनेक, लक्ष्य एक।
भारत यानी भाषाएं अनेक, अभिव्यक्ति एक।
भारत यानी रंग अनेक, तिरंगा एक।
– पीएम @narendramodi pic.twitter.com/PuDJmJmeFW
— BJP (@BJP4India) January 24, 2021
पीएम मोदी ने भारत की परिभाषा बताते हुए कहा कि भारत यानी कोटि-कोटि सामान्य जन के खून पसीने, आकांक्षाओं, अपेक्षा की सामूहिक शक्ति। भारत यानी राज्य अनेक, राष्ट्र एक। भारत यानी समाज अनेक, भाव एक। भारत यानी पंथ अनेक, लक्ष्य एक। भारत यानी भाषाएं अनेक, अभिव्यक्ति एक। भारत यानी रंग अनेक, तिरंगा एक।
उन्होंने कहा कि अपने घर के आसपास जो चीजें बन रही हैं, उसपर मान करना, उसे प्रोत्साहित करना ही वोकल फॉर लोकल है। वोकल फॉर लोकल की भावना तब मजबूत होगी जब इसे एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना से शक्ति मिलेगी। देश में भारत के हर राज्य के रहन-सहन, तीज-त्यौहार के बारे में जागरूकता और बढ़े। विशेष तौर पर हमारी समृद्ध आदिवासी परंपराओं, आर्ट और क्राफ्ट से देश बहुत कुछ सीख सकता है। इन सब को आगे बढ़ाने में ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ अभियान बहुत मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि कौशल के महत्व को देखते हुए है 2014 में सरकार बनते ही कौशल विकास के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया। इस अभियान के तहत अब तक करीब 5.5 करोड़ युवा साथियों को अलग-अलग कला व कौशल की ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत आत्मनिर्भर किसी के कहने भर से नहीं होगा, बल्कि आप जैसे युवा साथियों के करने से ही होगा। आप ये तब और ज्यादा बेहतर तरीके से कर पाएंगे जब आपके पास जरूरी स्किल सेट होगा।