
नई दिल्ली। तिब्बतियों के सबसे बड़े धर्मगुरु दलाई लामा का रविवार को 90वां जन्मदिन मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी थी। मोदी ने अपने शुभकामना संदेश में लिखा था, दलाई लामा प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के चिरस्थायी प्रतीक रहे हैं। उनके संदेश ने सभी धर्मों के लोगों में सम्मान और प्रशंसा को प्रेरित किया है। हम उनके निरंतर अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं। मोदी के द्वारा दलाई लामा को दी गई शुभकामना चीन को पसंद नहीं आई और उसने भारत के समक्ष आपत्ति जताई है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने आज कहा कि दलाई लामा एक राजनीतिक निर्वासित व्यक्ति हैं जो लंबे समय से चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं। निंग ने आरोप लगाया कि दलाई लामा धर्म की आड़ में शिजांग (तिब्बत) को चीन अलग करने का प्रयास करते रहते हैं। भारत को शिजांग से संबंधित मुद्दों की संवेदनशीलता को समझते हुए इस संबंध में चीन से की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए। चीन ने ऐसे समय पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है जब हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया है कि दलाई लामा को भारत रत्न देने पर विचार किया जा रहा है। इससे पहले अपने उत्तराधिकारी के चयन में चीन के किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार करते हुए दलाई लामा ने कहा था कि तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार ही उनका उत्तराधिकारी चुना जाएगा जो चीन के बाहर स्वतंत्र दुनिया से होगा।
दलाई लामा ने अपना उत्तराधिकारी चुनने की जिम्मेदारी गादेन फोडरंग ट्रस्ट को सौंपी है। दलाई लामा के इस बयान के बाद चीन ने कहा था कि उसकी स्वीकृति के बिना दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन नहीं हो सकता। चीन के इस बयान के बाद भारत के केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने बयान जारी किया था कि भारत में रहने वाले बौद्ध दलाई लामा की शिक्षा और परंपरा को मानते हैं। कोई व्यक्ति या देश ये तय नहीं कर सकता कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा। इस पर भी चीन के आपत्ति जताते हुए इसे उसके आतंरिक मामलों में दखल बताया था। हालांकि बाद में भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया था कि वह धार्मिक व आस्था से जुड़े मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करता।