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Successful Launch of Agnibaan Rocket : अग्निबाण रॉकेट की सफल लॉन्चिंग से पीएम नरेंद्र मोदी गदगद, जानिए इसकी खासियत

Successful Launch of Agnibaan Rocket : अंतरिक्ष स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने खुद के लॉन्च पैड से श्रीहरिकोटा में रॉकेट अग्निबाण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। अग्निबाण रॉकेट एक कस्टमाइजेबल, दो स्टेज वाल लॉन्च व्हीकल है। रॉकेट में अभूतपूर्व एग्निलेट इंजन लगा है, जो दुनिया का पहला सिंगल-यूनिट 3डी-प्रिंटेड इंजन है।

नई दिल्ली। अंतरिक्ष स्टार्ट-अप अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने खुद के लॉन्च पैड से श्रीहरिकोटा में रॉकेट अग्निबाण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। अग्निबाण रॉकेट एक कस्टमाइजेबल, दो स्टेज वाल लॉन्च व्हीकल है। रॉकेट में अभूतपूर्व एग्निलेट इंजन लगा है, जो दुनिया का पहला सिंगल-यूनिट 3डी-प्रिंटेड इंजन है। इससे पहले चार बार और भी अग्निबाण का परीक्षण किया गया था लेकिन हर बार प्रयास असफल रहा।

जहां एक ओर इसरो ने इस महत्वपूर्ण सफलता के लिए अग्निकुल कॉसमॉस को बधाई दी है तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस सफल परीक्षण से गदगद हैं। पीएम ने इसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इसे एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताते हुए कहा इस पूरे देश को गर्व होगा! दुनिया के पहले सिंगल-पीस 3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित अग्निबाण रॉकेट का सफल प्रक्षेपण भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है और हमारी युवा शक्ति की उल्लेखनीय प्रतिभा का प्रमाण है। अग्निकुल कॉसमॉस की टीम को उनके भविष्य के प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएँ।

वहीं इसरो ने अपने एक्स एकाउंट पर लिखा, अग्निकुल कॉसमॉस को अपने लॉन्च पैड से अग्निबाण SoRTed-01 मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई हो। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के माध्यम से अर्ध-क्रायोजेनिक तरल इंजन की पहली नियंत्रित उड़ान के रूप में एक प्रमुख मील का पत्थर साकार हुआ।

3डी प्रिंटेड सेमी-क्रायोजेनिक इंजन की खासियत यह है कि इसका उत्पादन तीन दिनों के भीतर किया जा सकता है, जो अग्निकुल कॉसमॉस को विभिन्न स्थानों से संभावित रूप से ऑन-डिमांड लॉन्च की पेशकश करने में सक्षम बनाता है। ये युद्धाभ्यास रॉकेट की नियंत्रण प्रणालियों का परीक्षण करने के लिए आयोजित किया गया, जिसमें इसकी ऑटोपायलट कार्यक्षमता भी शामिल थी। उड़ान के लगभग 70 सेकंड में, एवियोनिक्स सिस्टम का परीक्षण किया गया, जबकि रॉकेट ने अपना प्रक्षेप पथ बनाए रखा। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले रॉकेट अपनी उड़ान के उच्चतम बिंदु, अपने चरम पर पहुंच गया। घटनाओं के इस क्रम ने अग्निबाण रॉकेट सिस्टम के प्रदर्शन और विश्वसनीयता को मान्य करने के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किया।