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Guru Tegh Bahadur Prakash Parv: PM मोदी ने रचा नया इतिहास, सूर्यास्त के बाद लाल किले से दिया भाषण, जानें संबोधन की अहम बातें

PM Modi Red Fort Speech: बता दें कि गुरु तेगबहादुर का जन्म साल 1621 को अमृतसर में हुआ था। साल 1675 में कश्मीरी पंडितों का एक समूह उनके पास पहुंचा और कहा कि तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डाल रहा है। इस पर गुरु तेगबहादुर ने कहा कि औरंगजेब से जाकर कहो कि अगर मुझे वो इस्लाम कबूल करवा देगा, तो हम भी मुसलमान हो जाएंगे।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को रूढ़ियां और परंपराओं को तोड़ने और गढ़ने के लिए जाना जाता है। गुरुवार को भी पीएम मोदी एक नई परंपरा को शुरू किया हैं। अब तक सभी पीएम स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से देशवासियों को सुबह संबोधित करते रहे हैं। पीएम मोदी लालकिले से आज रात देश को संबोधित किया। बता दें कि मोदी का ये संबोधन सिखों के नौंवे गुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के मौके पर किया हैं। बता दें कि प्रकाश पर्व को पीएम मोदी ने धूमधाम से मनाने का फैसला पिछले साल किया था। पीएम मोदी यहां गुरु तेगबहादुर पर एक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि, गुरु तेगबहादुर साहब के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित इस भव्य आयोजन में मैं आप सभी का हृदय से स्वागत करता हूं। इसके साथ नरेंद्र मोदी सूर्यास्त के लाल किले पर भाषण देने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं।

पीएम मोदी के संबोधन की अहम बातें-

नई सोच, सतत परिश्रम और शत-प्रतिशत समर्पण, ये आज भी हमारे सिख समाज की पहचान है। आजादी के अमृत महोत्सव में आज देश का भी यही संकल्प है। हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है। हमें लोकल पर गर्व करना है, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है।

भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा नहीं पैदा किया। आज भी हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए सोचते हैं। हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो उसमें पूरे विश्व की प्रगति लक्ष्य का सामने रखते हैं।

श्री गुरुग्रंथ साहिब जी हमारे लिए आत्मकल्याण के पथप्रदर्शक के साथ साथ भारत की विविधता और एकता का जीवंत स्वरूप भी हैं। इसलिए, जब अफग़ानिस्तान में संकट पैदा होता है, हमारे पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को लाने का प्रश्न खड़ा होता है, तो भारत सरकार पूरी ताकत लगा देती है।

पिछले वर्ष ही हमारी सरकार ने, साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया। सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने के लिए भी हमारी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है।

उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।

ये लालकिला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है। इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है।

PM Narendra Modi

आजादी के बाद के 75 वर्षों में भारत के कितने ही सपनों की गूंज यहां से प्रतिध्वनित हुई है। इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान लाल किले पर हो रहा ये आयोजन बहुत विशेष हो गया है।

इस पुण्य अवसर पर सभी दस गुरुओं के चरणों में नमन करता हूँ। आप सभी को, सभी देशवासियों को और पूरी दुनिया में गुरुवाणी में आस्था रखने वाले सभी लोगों को प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई देता हूं।

इससे पहले 2019 में हमें गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व और 2017 में गुरु गोबिंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व मनाने का भी अवसर मिला था। मुझे खुशी है कि आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है।

अभी शबद कीर्तन सुनकर जो शांति मिली, वो शब्दों में अभिव्यक्त करना मुश्किल है। आज मुझे गुरू को समर्पित स्मारक डाक टिकट और सिक्के के विमोचन का भी सौभाग्य मिला है। मैं इसे हमारे गुरूओं की विशेष कृपा मानता हूं।

बता दें कि गुरु तेगबहादुर का जन्म साल 1621 को अमृतसर में हुआ था। साल 1675 में कश्मीरी पंडितों का एक समूह उनके पास पहुंचा और कहा कि तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डाल रहा है। इस पर गुरु तेगबहादुर ने कहा कि औरंगजेब से जाकर कहो कि अगर मुझे वो इस्लाम कबूल करवा देगा, तो हम भी मुसलमान हो जाएंगे। इसके बाद गुरु तेगबहादुर दिल्ली गए। जहां औरंगजेब ने उनके और साथियों पर तमाम जुल्म किए। जिसके बाद लालकिले के सामने एक टीले पर उन्हें शहीद किया गया। दिल्ली में गुरु तेगबहादुर ने जिस जगह शहादत दी, उस जगह अब शीशगंज गुरुद्वारा है।