नई दिल्ली। अहमदाबाद में आयोजित हुआ प्रमुख स्वामी महाराज जन्म शताब्दी समारोह आस्था, धर्म और संस्कृति का सामूहिक उत्सव होने के साथ यहां पहुंचने वाले करोड़ों लोगों की सेहत के लिए लाभकारी रहा। यहां पर एक माह चला विश्व शांति यज्ञ आसपास के पर्यावरण को शुद्ध बनाने में मददगर रहा, जिसका सीधा संबंध लोगों की सेहत से है। यज्ञ आयोजन के प्रमुख डा. श्रुतिप्रकाश स्वामी, पीएचडी डीलिट ने बताया कि प्रमुख स्वामी महाराज जन्म शताब्दी समारोह के दौरान विश्व शांति यज्ञ का आयोजन हुआ, जिसमें 2000 से अधिक जजमान शामिल हुए। यह यज्ञ रोजाना 8 घंटे तक चलता रहा। प्रत्येक दो घंटे में जजमान बदल जाते थे। जजमान इसलिए बदले जाते थे, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को विश्व शांति यज्ञ में शामिल होने का मौका मिले।
यज्ञ का मूल उद्देश्य धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों को संगठित करना और परोपकारिता करना था। इस यज्ञ से वायुमंडल में मौजूद असंख्य कीटाणु का नास हुआ है और आसपास का वातावरण शुद्ध हुआ है। इस तरह विश्व शांति यज्ञ यहां पहुंचने वाले करोड़ों लोगों की सेहत के लिए लाभदायक रहा। श्रद्धालुओं को धार्मिक, आध्यात्मिक के साथ साथ शुद्ध वातावरण भी मिला।
डा. श्रतिप्रकाश स्वामी ने बताया कि यज्ञ वैदिक परंपरा का अनुष्ठान है। यहां पांच अलग-अलग यज्ञ कुंड बनाए गए। पद्म कुंड, चतुर्थकोणीय, अष्टकोणीय, अर्द्ध वृत्त और वृत्त कुंडों में रोजाना विद्वान आचार्यों द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ से हमें प्रेरणा मिलती है, जो हम अपने लिए चाहते हैं, वहीं दूसरों के लिए भी चाहें। अग्नि हमें सिखाती हैं कि सभी चीजों को आत्मसात करना चाहिए, किसी का भी तिरस्कार नहीं करना चाहिए। जैसे अग्नि में जो भी चीज डालों वो जल जाती है। अग्निअंत तक रोशनी और प्रकाश देती है. जीवन का उद्देश्य भी यही रखना चाहिए। यज्ञ स्थल की व्यवस्था 100 स्वयं सेवकों ने संभाल रखी थी। ये स्वयं सेवक ही आचार्यों की देखरेख में रोजाना यज्ञ की तैयारी कराते थे। वहीं, कई अलग अलग राज्यों से आए 20 आचार्यों ने वैदिक विधि विधान से विश्व शांति यज्ञ को संपन्न कराया।