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Aditya-L1 Live: चांद के बाद अब सूरज के प्रयोग मे भी भारतीय वैज्ञानिक दिखाएंगे जलवा, आदित्य एल-1 सफलता से अंतरिक्ष में भेजा गया

Aditya-L1 Live: सर्वप्रथम आदित्य एल-1 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। वहीं, सूर्ययान कैसा रहता है? आगे के लिए इसकी राह कैसी रहती है? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी? लिहाजा इस मिशन की हर गतिविधि से रूबरू होने के लिए आप बने रहिए। न्यूज रूम पोस्ट के लाइव ब्लॉग के साथ।

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की अभूतपूर्व सफलता से उत्साहित इसरो वैज्ञानिक अब सू्र्य की ओर बढ़ने की तैयारी कर चुके हैं। आज इसी कड़ी में सूर्ययान लॉन्च किया गया। सूर्ययान मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है। हालांकि, भारत सूर्ययान लॉन्च कराने वाला कोई पहला देश नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई देश इस मिशन को लॉन्च कर चुके हैं, लेकिन कई मायनों में भारत का सूर्ययान अलहदा है। सर्वप्रथम आदित्य एल-1 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। वहीं, सूर्ययान कैसा रहता है? आगे के लिए इसकी राह कैसी रहती है? इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी? लिहाजा इस मिशन की हर गतिविधि से रूबरू होने के लिए आप बने रहिए। न्यूज रूम पोस्ट के लाइव ब्लॉग के साथ।

LIVE UPDATE: –

श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को लेकर इसरो के पीएसएलवी रॉकेट के उड़ान भरने के दौरान भीड़ ने ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।

आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण के बाद, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में एकत्र हुए लोगों का कहना है, “हम इसे देखने के लिए मुंबई से आए हैं। यह हमारे लिए एक अविस्मरणीय क्षण था। यह (आदित्य एल-1) जा रहा है।” अद्भुत होना। यह एक अद्भुत एहसास है कि हम नासा और अन्य जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों को प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं। हम वास्तव में उत्साहित हैं…”

आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण के बाद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा के दृश्य। पीएसएलवी के पृथक्करण का तीसरा चरण पूरा हो चुका है।

इसरो के आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को कवर करने वाला पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलते ही अलग हो गया है। फिलहाल इसरो के अनुसार तीसरा चरण अलग कर दिया गया है।

ऐतिहासिक चंद्रमा लैंडिंग के बाद, इसरो का पहला सौर मिशन, आदित्य-एल 1, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत का पहला सौर मिशन, #AdityaL1 लॉन्च किया। सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है।

आदित्य-एल1 सोलर मिशन पर उस्मानिया यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रुक्मिणी जागीरदार का कहना है, ‘इससे ​​पता चलेगा कि इसरो कितनी दूर तक जा सकता है और अपनी क्षमता साबित कर सकता है… यह पहली बार है जब भारत कोई सैटेलाइट भेजने जा रहा है अंतरिक्ष में सूर्य की निगरानी करने के लिए। अमेरिका, यूरोप, जापान के कई उपग्रहों के बाद, बहुत कम देशों ने सूर्य की खोज की है। भारत एक मील का पत्थर बनाने जा रहा है। अभी सूर्य का अवलोकन करने वाले उपग्रहों का जीवनकाल समाप्त होने वाला है। इसरो अगले स्तर का डेटा उपलब्ध कराने जा रहा है जिसकी दुनिया उम्मीद कर रही है…”

इसरो के सौर मिशन आदित्य एल-1 के लॉन्च से पहले श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) एसएचएआर में मिशन नियंत्रण केंद्र में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह पहुंचे।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सौर मिशन, #AdityaL1 लॉन्च किया।

आदित्य एल-1 की ल़ॉन्चिंग को देखने की बेताबी लोगों में सामने आए इस वीडियो से साफ देखा जा सकता है।

आदित्य एल -1 की पूरी तैयारी हो चुकी है। किसी  भी वक्त इसे लॉन्च किया जा सकता है।

भारत का पहला सौर मिशन, #AdityaL1 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11:50 बजे लॉन्च होने के लिए पूरी तरह तैयार है।

इसरो का पीएसएलवी रॉकेट सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में लॉन्च करेगा।

क्या करेगा आदित्य एल-1

सोलर मिशन आदित्य एल-1 सूर्य की परतों का निरीक्षण करने के लिए 7 पोलेड ले जाएगा। विभिन्न तरंग बैंडों में फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और कोरोना सहित तीन सबसे अहम परतों का निरीक्षण किया जाएगा। इसरो के एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आदित्य एल-1 राष्ट्रीय भागीदारी से बना भारत का पहला मिशन है। सूर्ययान को अपने मिशन तक पहुंचने में चार महीने लग जाएंगे।

आदित्य एल-1 के फायदे

वहीं, बात आदित्य एल के फायदे की करें, तो यह बिना किसी बाधा के सूर्य को देख सकते हैं। इसरो ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके असर को देखने का अधिक लाभ मिलेगा। आदित्य एल-1 के 4 पोलेड सीधे सूर्य को देखेंगे।

सूर्य मिशन का उद्देश्य 

आदित्य एल-1 भारत का पहला सूर्य मिशन है। इससे प्राप्त होने वाले डेटा के आधार पर यह पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कोरोना का तापमान लगभग दस लाख डिग्री सेल्सियस तक कैसे पहुंच जाता है। वहीं, अगर सूर्य के तापमान की बात करें, तो यह  6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है। इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक, आदित्य एल-1 कोरोना और सोलर क्रोमोस्फीयर की जानकारी देगा।