
नई दिल्ली। देश की राजधानी में कर्तव्य पथ पर आज इतिहास रच गया। पहली बार एक आदिवासी राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस पर परेड की सलामी ली। ये इतिहास रचने वाली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं। वो देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति भी हैं। अब तक मुस्लिम, सवर्ण और दलित राष्ट्रपति ही देश में हुए हैं। इस बार आदिवासियों के लिए मुर्मू का परेड की सलामी लेना गौरव का विषय बन गया है। मुर्मू परेड की सलामी लेने वाली दूसरी महिला राष्ट्रपति भी हैं। इससे पहले प्रतिभा देवीसिंह पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति के तौर पर परेड की सलामी ले चुकी हैं।
इस बार देश 74वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर परेड निकली। इस परेड में देश की आन, बान और शान के दर्शन हुए। परेड में मेक इन इंडिया हथियारों को भी पहली बार एक्सक्लूसिव तौर पर शामिल किया गया। यहां तक कि राष्ट्रपति को सलामी देने के लिए ब्रिटिश काल की पाउंडर तोपों की जगह 105 एमएम की देश में बनी तोपों का इस्तेमाल भी पहली बार किया गया। मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल सिसी इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में चीफ गेस्ट के तौर पर शामिल हुए। बता दें कि भारत और मिस्र दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताएं हैं।
इस बार के गणतंत्र दिवस पर पहली बार कुछ और भी देखा गया। सेना में पहली बार शामिल हुए अग्निवीर भी मार्च पास्ट करते दिखे। इसके अलावा ऊंटों पर सवार बीएसएफ का महिला दस्ता भी पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया गया। मारकोस और गरुड़ कमांडो भी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बने। देश की तरक्की और गौरव के प्रतीक झांकियों और अन्य चीजों को भी इस बार परेड में शामिल किया गया। इससे दुनिया में भारत की ताकतवर छवि के दर्शन कराए गए हैं।