
नई दिल्ली। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद अब महिला शक्ति वंदन बिल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद कानून बन चुका है। विधेयक पर हस्ताक्षर करने के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि यह लैंगिक समानता के लिए हमारे समय का क्रांतिकारी कदम होगा। बता दें कि संविधान के मुताबिक, जब कोई विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारिेत हो जाता है, तो उसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून का रूप धारण कर पाता है। ध्यान दें कि विधेयक के कानून बन जाने के बाद लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा, लेकिन इसके लागू होने की दिशा में अभी-भी पेंच फंसा हुआ है, जिस लेकर विपक्ष भी केंद्र पर हमलावर है।
Women’s quota Bill receives nod from President Droupadi Murmu, becomes law
Read @ANI Story | https://t.co/9ZIyREN9Uh#WomenReservationBill2023 #NariShaktiVandanAdhiniyam #PresidentMurmu pic.twitter.com/H7W7UJHtf3
— ANI Digital (@ani_digital) September 29, 2023
बता दें कि बीते 18 सितंबर को संसद का विशेष सत्र आहूत किया गया था। जिसमें कई विधेयकों को पेश किए जाने की चर्चा थी। प्रमुख रूप से सभी की निगाहें महिला शक्ति वंदन बिल और एक देश एक चुनाव पर टिकी हुई थी। हालांकि, एक देश एक चुनाव का बिल तो पेश नहीं किया गया, लेकिन महिला वंदन शक्ति बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया। वहीं, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून का रूप धारण कर चुका है। इस कानून के लागू होने के बाद राजनीति में कदम रखने वाली महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण दिया जाएगा। लोकसभा में जहां बिल के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि विरोध में दो। बता दें कि विरोद में वोट डालने वाले ओवैसी की पार्टी के थे। हालांकि, उनका नाम उजागर नहीं हो सका। उधर, राज्यसभा में बिल के पक्ष में 214 वोट पड़े थे। किसी ने भी विरोध किया। वहीं, अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून बन चुका है। जिसका सभी ने स्वागत किया था, लेकिन बीते दिनों सदन में चर्चा के दौरान कइओं ने ओबीसी समुदाय को आरक्षण देने की मांग की थी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर ओबीसी समुदाय की उपेक्षा का आरोप लगाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में कुल 77 सेक्रेरटरी हैं, जिसमें से ओबीसी समुदाय के महज दो ही सचिव हैं, जिसके बाद सरकार की ओर से जवाब देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने तो ओबीसी समुदाय का प्रधानमंत्री इस देश को दिया, लेकिन कांग्रेस बताए कि जब उनकी सरकार यह बिल लेकर आई थी, तो उन्होंने क्यों नहीं ओबीसी समुदाय को आरक्षण देने का प्रावधान किया था। बता दें कि इस संदर्भ में बीते दिनों राहुल गांधी से सवाल किया गया था, तो उन्होंने यह कहने में कोई गुरेज नहीं किया कि उन्हें इस बात का रिग्रेट है कि उनकी सरकार ने ओबीसी समुदाय की महिलाओं को आरक्षण देने की दिशा में कोई पहली नहीं की थी।