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Agneepath: क्या हिंसा में लिप्त पाए गए युवाओं को मिलेगा ‘अग्निवीर’ बनने का मौका? तीनों सेनाओं के प्रमुख ने किया बड़ा ऐलान

लेकिन, अब केंद्र सरकार की साफ कहा जा चुका है कि सेना में बतौर अग्निवीर चार वर्ष काम करने के उपरांत उनके पास अर्धसैनिक बल में नौकरी करने हेतु अपार अवसर रहेंगे। अब इसी बीच अग्निपथ योजना को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के बीच तीनों ही सेनाओं के प्रमुख ने प्रेस कांफेंस कर रही है। आइए, आपको दिखाते हैं।

नई दिल्ली। अग्निपथ स्कीम को लेकर देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। हिंसा की आंच जिस तेजी से विभिन्न राज्यों में पहुंच रही है, उसे नियंत्रित करना राज्यों सरकार  के लिए चुनौतीपूर्ण हो रहा है। वहीं, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हिंसा में संलिप्त सभी आरोपियों को चिन्हित कर उनकी गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हो चुका है। अब तक हिंसा में संलिप्त कई आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रदर्शनकारी युवा सरकार से इस योजना को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी युवाओं को इस बात का डर है कि  सेना में चार  वर्ष बतौर अग्निवीर काम करने के उपरांत उनके पास रोजगार के रूप में क्या साधन रहेंगे। लिहाजा उन्हें बेरोजगारी का शिकार होना पड़ेगा। लेकिन, अब केंद्र सरकार की साफ कहा जा चुका है कि सेना में बतौर अग्निवीर चार वर्ष काम करने के उपरांत उनके पास अर्धसैनिक बल में नौकरी करने हेतु अपार अवसर रहेंगे। अब इसी बीच अग्निपथ योजना को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के बीच तीनों ही सेनाओं के प्रमुख ने प्रेस कांफेंस कर रही है। आइए, आपको दिखाते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल क्या कुछ कह रहे हैं।

सेना ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सेना को युवा लोगों की जरूरत है। आज सेना की औसत उम्र 32 साल है, इसे हम कम करके 26 साल पर करने की कोशिश करने की कोशिश कर रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि युवा ज्यादा रिस्क ले सकते हैं ये हम सभी को पता है। अनिल पुरी डीएमए में एडिशनल सेक्रेटरी हैं। उन्होंने कहा कि 1989 में इस योजना पर विचार करना शुरू हो गया और इसे लागू करने से पहले कई देशों में सेना में नियुक्तियों और वहां के एग्जिट प्लान का अध्ययन किया गया।

लेफ्टिनेंट जनरल अरुण पुरी ने कहा हमने योजना का विश्लेषण करने और बुनियादी क्षमता का निर्माण करने के लिए पहले साल 46,000 भर्तियों से छोटी शुरुआत की है। निकट भविष्य में हमारी ‘अग्निवर’ की संख्या 1.25 लाख तक पहुंच जाएगी। देश की सेवा में अपना जीवन कुर्बान करने वाले ‘अग्निवर’ को एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा। उनके लिए अलग से किसी बैरक या ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्था नहीं की जा रही है। ले. अ. अनिल पुरी ने कहा कहा कि ‘अग्निवीरों’ को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में वही भत्ता मिलेगा जो वर्तमान में सेवारत नियमित सैनिकों पर लागू होता है। सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा. जो कपड़े सेना के जवान पहनते हैं वहीं कपड़े अग्निवीर पहनेंगे, जिस लंगर में सेना के जवान खाना खाते हैं वहीं पर अग्निवीर खाएंगे। जहां पर सेना के जवान रहते हैं वहीं पर अग्निवीर ही रहेंगे। सेना ने कहा कि अगले 4-5 वर्षों में, हम 50-60 हजार सैनिकों की बहाली करेंगे और बाद में इसे बढ़ाकर 90,000- 1 लाख तक किया जाएगा. हमने योजना का विश्लेषण करने के लिए 46,000 जवानों से छोटी शुरुआत की है।

क्या हिंसा में लिप्त युवकों को मिलेगा अग्निवीर बनने का मौका?

उधर, तीनों सेनाओं के प्रमुखों की बैठक में जब सवाल किया गया कि क्या हिंसा में लिप्त पाए गए युवकों को अग्निवीर बनने का मौका मिलेगा, तो इस पर तीनों ही सेनाओं के प्रमुखों की ओर से कहा गया है कि सेना का मूल मंत्र अनुशासन होता है। लिहाजा किसी भी हिंसा में लिप्त युवकों को सेना में अग्निवीर बनने का मौका नहीं मिलेगा। वहीं, अग्निवीर बनने हेतु आवेदन करने करने से पहले उन्हें प्रतिज्ञा पत्र देना होगा, जिसमें उन्हें यह कहना होगा कि वे किसी भी प्रकार की हिंसा में लिप्त नहीं थे, लेकिन इसके बावजूद पुलिस सत्यापन किया जाएगा और अगर सत्यापन के दौरान किसी का भी नाम हिंसा में आता है, तो उसे अग्निवीर बनने से रोक दिया जाएगा।

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि आखिर चार वर्ष सेना में काम करने के उपरांत  उनके पास रोजगार के रूप में क्या साधन उपलब्ध रहेंगे। इन तमाम प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए आज तीनों ही सेनाओं के प्रमुखों ने प्रेस कांफ्रेंस की है। जिसमें उन्होंने विभिन्न बिंदुओं पर अपनी राय जाहिर की है। अब ऐसी स्थिति में आपका इस पूरे मसले पर आपका क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत  भूलिएगा।