
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र में आयोजित ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक चुनौतियों पर विचार रखते हुए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने की बात कही। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में हाल ही में संपन्न हुए दुनिया के सबसे बड़े चुनावों में जनता ने उन्हें तीसरी बार देश की सेवा का मौका दिया है, और वह दुनिया की छठे हिस्से की आवाज़ को यूएन के मंच तक पहुंचाने के लिए आए हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में सतत विकास और मानव कल्याण पर विशेष जोर देते हुए कहा कि जब हम वैश्विक भविष्य की बात करते हैं, तो सबसे पहले मानव केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वैश्विक सतत विकास के साथ-साथ हमें भोजन और स्वास्थ्य सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना होगा।
Speaking at Summit of the Future at the @UN. https://t.co/lxhOQEWEC8
— Narendra Modi (@narendramodi) September 23, 2024
25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का उदाहरण दिया
पीएम मोदी ने भारत के विकास मॉडल की चर्चा करते हुए कहा कि भारत ने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालकर यह साबित किया है कि सतत विकास से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने अपने इस अनुभव को ‘ग्लोबल साउथ’ के साथ साझा करने की इच्छा जताई, ताकि अन्य विकासशील देशों को भी लाभ मिल सके।
वैश्विक शांति और विकास के लिए सुधार आवश्यक
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक संस्थाओं में सुधार जरूरी हैं। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा, “रिफॉर्म इज द की टू रिलेवेंस”। उन्होंने अफ्रीकन यूनियन को नई दिल्ली में जी-20 में स्थायी सदस्यता दिलाने को इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। पीएम मोदी ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि आतंकवाद एक बड़ा खतरा है, वहीं साइबर क्राइम, समुद्री सुरक्षा, और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भी संघर्ष की संभावनाएं बढ़ रही हैं। इन सभी मुद्दों पर वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता है।
#WATCH | Speaking at the 79th UN General Assembly session, PM Modi says, “While on one hand, terrorism continues to be a serious threat to global peace and security, on the other hand, cyber, maritime and space are emerging as new theatres of conflict. On all these issues, I will… pic.twitter.com/aX6GaNL57T
— ANI (@ANI) September 23, 2024
डिजिटल युग के बढ़ते महत्व को देखते हुए पीएम मोदी ने प्रौद्योगिकी के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के लिए संतुलित विनियमन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे वैश्विक डिजिटल शासन की जरूरत है, जिसमें हर राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता बनी रहे। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर देशों के बीच एक पुल के रूप में काम करना चाहिए, न कि एक बाधा के रूप में।