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PM Narendra Modi Releases Compilation Of Works Of Tamil Poet Subramaniam Bharati : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती की रचनाओं के संकलन का किया विमोचन

PM Narendra Modi Releases Compilation Of Works Of Tamil Poet Subramaniam Bharati : पीएम मोदी ने कहा कि आज गीता जयंती का पावन अवसर भी है। सुब्रमण्यम भारती जी की गीता के प्रति गहरी आस्था थी और गीता ज्ञान को लेकर उनकी समझ भी उतनी ही गहरी थी। उन्होंने गीता का तमिल में अनुवाद किया, उसकी सरल और सुगम व्याख्या भी की और आज गीता जयंती, सुब्रमण्यम भारती की जयंती और उनके कामों के प्रकाशन का संयोग, यानी एक प्रकार से त्रिवेणी संगम है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती की जयंती पर उनकी रचनाओं के संकलन का विमोचन किया। इस दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आज गीता जयंती का पावन अवसर भी है। सुब्रमण्यम भारती जी की गीता के प्रति गहरी आस्था थी और गीता ज्ञान को लेकर उनकी समझ भी उतनी ही गहरी थी। उन्होंने गीता का तमिल में अनुवाद किया, उसकी सरल और सुगम व्याख्या भी की और आज गीता जयंती, सुब्रमण्यम भारती की जयंती और उनके कामों के प्रकाशन का संयोग, यानी एक प्रकार से त्रिवेणी संगम है।

पीएम नरेंद्र मोदी बोले, मुझे बताया गया है कि ‘काल वारिसेणु भरतियार’ के 23 खंडों में न केवल भरतियार जी की रचनाएं ही शामिल हैं, बल्कि उनके साहित्य की पृष्ठभूमि और दार्शनिक व्याख्याओं के बारे में भी जानकारी है। हर खंड में भाष्य, विवरण को जगह दी गई है। इससे भारती जी के विचारों को गहराई से जानने और उसे समझने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। यह संकलन रिसर्च स्कॉलर्स के लिए भी बहुत मददगार साबित होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, आज देश महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जन्म जयंती मना रहा है। मैं सुब्रमण्यम भारती को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं और उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आज भारत की सांस्कृति और साहित्य के लिए, भारत के स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों के लिए और तमिलनाडु के गौरव के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है।

पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं, हम ‘एक जीवन, एक मिशन’ वाक्यांश तो सुनते थे लेकिन यह होता क्या है यह मैं श्रीनि जी में देखता हूं। उनका समर्पण और तपस्या उल्लेखनीय है। श्रीनि जी की तपस्या ने आज मुझे महामहोपाध्याय पांडुरंग वामन काणे की याद दिला दी। उन्होंने अपने जीवन के 35 वर्ष इतिहास और धर्म शास्त्र लिखने में लगा दिए थे। मुझे विश्वास है श्रीनि विश्वानाथन जी का यह काम एकेडमिक जगत में एक बेंचमार्क बनेगा।