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इस संस्थान के दावे ने किया साबित पीएम मोदी द्वारा लॉकडाउन का फैसला था सही, नहीं तो अब तक जाती इतनी हजार जानें

कोरोना से प्रभावित राज्यों की बात करें तो कोरोना के अस्सी परशेंट से ज्यादा मामले सिर्फ पांच राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में हैं।

नई दिल्ली। लॉकडाउन को लेकर विपक्ष हमेशा मोदी सरकार पर हमलावर रही है। विपक्ष की तरफ से सवाल किया जाता रहा है कि लॉकडाउन को जल्दी लागू किया गया। लोगों को पहले से तैयार नहीं होने दिया गया। इन सबके बीच पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने दावा किया है कि, मोदी सरकार द्वारा कोरोना संकट को देखते हुए लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से कम से कम 78 हजार लोगों की जिंदगी बची।

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लॉकडाउन लागू होने से फायदा क्या हुआ

ऐसे में लॉकडाउन लागू होने से फायदा क्या हुआ? पूछने वालों को जवाब मिल गया है कि लॉकडाउन का सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि इससे हजारों कीमती जानों को बचाने में मदद मिली। महामारी को कुछ इलाकों तक सीमित करने में सफलता मिली और हेल्थ का बुनियादी ढांचा खड़ा किया जा सका।

68 हजार लोगों की जिंदगी बची

लॉकडाउन में रियायत मिली तो कोरोना संक्रमितों की तादाद में तेजी के साथ इजाफा होने लगा। संक्रमितों की सख्या अब रोजाना हजार में नहीं बल्कि पांच-पांच हजार तक पहुंच रही है। देश में 25 मार्च से लागू हुए लॉकडाउन की वजह से कोरोना के मरीजों की संख्या को रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है। अगर लॉकडाउन सही समय पर लागू ना हुआ होता तो आज देश में कोरोना के मरीजों की संख्या करीब साढ़े चौबीस लाख होती। कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा कम से कम 72 हजार होता। इसका मतलब ये हुआ कि लॉकडाउन की वजह से तेईस लाख लोग कोरोना के इन्फैक्शन से बचे। लॉकडाउन के कारण कम से कम 68 हजार लोगों की जिंदगी बची।

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मरीजों की संख्या 70 लाख तक हो सकती थी

पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया का दावा है कि लॉकडाउन की वजह से कम से कम 78 हजार लोगों की जिंदगी बची। बोस्टम कन्सल्टिंग ग्रुप के मॉडल पर यकीन करें तो उसके हिसाब से भारत में वक्त पर लॉकडाउन होने के कारण सवा लाख से लेकर दो लाख दस हजार तक लोगों की जान बचाई गई और अगर लॉकडाउन न होता तो भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या 70 लाख तक हो सकती थी।

वहीं मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक और इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैटिस्टिक की स्टडी कहती है कि लॉकडाउन के कारण बीस लाख लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाया  गया। अगर लॉकडाउन न होता तो इस वक्त तक कोरोना से 58 हजार लोग जान गवां चुके होते। यानि लॉकडाउन के कारण 54 हजार लोगों की जान बच गई।

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टेस्टिंग को लेकर कहा जा रहा है कि, देश में कोरोना की टेस्टिंग कम हो रही है इसलिए महामारी की सही स्थिति पता नहीं लग पा रही है लेकिन ये भी सिर्फ वहम है। शुक्रवार दोपहर एक बजे तक देश में कोरोना के 27 लाख 55 हजार 714 टेस्ट हुए, 18287 टेस्ट प्राइवेट लैब में कराए गए। भारत में दूसरों देशों की तुलना में कम कोरोना टेस्ट नहीं हुए हैं और दूसरे देशों में टेस्ट पॉजिटिव आने का रेट हमसे दोगुना से भी ज्यादा है। देश में कोरोना के चुनिंदा हॉटस्पॉट राज्य हैं। अलग अलग वजहों से इन राज्यों में महामारी ने विकराल रूप ले लिया।

कोरोना से प्रभावित राज्यों की बात करें तो कोरोना के अस्सी परशेंट से ज्यादा मामले सिर्फ पांच राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में हैं। देश के करीब 50 परसेंट से ज्यादा मरीज मुंबई, ठाणे, अहमदाबाद, दिल्ली, चैन्नई और इंदौर में हैं। युद्ध स्तर पर इन शहरों में कोरोना को रोकने की कोशिशें की जा रही हैं।