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Pushpadolotsav: भगवान स्वामीनारायण की स्मृति में मनाया गया पुष्पदोलोत्सव, महंत स्वामी महाराज के सानिध्य में सारंगपुर के रंगोत्सव में डूबे 75000 हरिभक्त

Pushpadolotsav: इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की व्यवस्था भी बहुत सुंदर की गई थी। 30 सेवा विभागों में 8000 स्वयंसेवक सेवा कर रहे थे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अनेक स्थानों पर पूछताछ केंद्रों की व्यवस्था की गई थी।

सारंगपुर। भगवान स्वामिनारायण ने वडताल, गढ़पुर, सारंगपुर, अहमदाबाद जैसे विभिन्न स्थानों पर पुष्पदोलोत्सव आयोजित करके गुजरात की धरा को पावन किया था । यह कार्यक्रम उनकी चिरस्थायी स्मृति में सारंगपुर में हर वर्ष मनाया जाता है। परमपूज्य प्रमुखस्वामी महाराज हर वर्ष सारंगपुर में पुष्पदोलोत्सव का त्यौहार धूमधाम से मनाते थे, जिसकी स्मृतियां आज भी देखने को मिलती हैं। वे आशीर्वाद देते हुए कहते थे कि संसार के रंग में तो सभी रंगे हैं, लेकिन हमें भगवान के रंग में रंगना है। उसी परंपरा में, परम पूज्य महंतस्वामी महाराज की प्रत्यक्ष उपस्थिति में यह पुष्पदोलोत्सव भव्य रूप से मनाया गया जिसमें देश-विदेश से 75000 भक्त इस अवसर का लाभ उठाने आए।

पुष्पदोलोत्सव पर पूरे सारंगपुर गांव में सुबह से ही आनंद का माहौल था। सारंगपुर मंदिर परिसर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से खचाखच भरा रहा। रंगोत्सव के अवसर पर सारंगपुर में विदेशों के साथ-साथ भारत के विभिन्न प्रांतों से भी श्रद्धालु उमड़े थे। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की व्यवस्था भी बहुत सुंदर की गई थी। 30 सेवा विभागों में 8000 स्वयंसेवक सेवा कर रहे थे। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अनेक स्थानों पर पूछताछ केंद्रों की व्यवस्था की गई थी। विभिन्न सेवा विभागों में संतों और भक्तों ने व्रत-उपवास के साथ सेवा की थी। बी.ए.पी.एस. विद्यामंदिर परिसर में शाम के समय बड़ी संख्या में हरिभक्त आए थे। वहां 10 लाख वर्ग फुट भूमि को साफ कर समतल किया गया और विशाल सभा भवन तैयार किया गया था।

शाम 5:45 बजे जब पुष्पदोलोत्सव  महोत्सव की मुख्य सभा शुरू हुई तो परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। सभा में प्रवेश करते ही सभी हरिभक्तों को आनंद की अनुभूति हुई। मंच के पीछे विशाल पृष्ठभूमि पर रॉबिन्सविले अक्षरधाम और अबू धाबी में बने भव्य हिंदू मंदिर की प्रतिकृतियां सजी हुई थीं। इसके साथ ही संगठन की विभिन्न सामाजिक सेवाओं में अग्रणी रहने वाले कार्यकर्ताओं की स्मृतियों को मंच पर अंकित किया गया।

इसी संदेश के अनुरूप सद्गुरुवर्य संत पूज्यविवेकसागर स्वामी ने बी.ए.पी.एस. कार्यकर्ता सुवर्ण महोत्सव वर्ष के दौरान संगठन की स्थापना में कार्यकर्ताओं के समर्पण और बलिदान को याद किया। बी.ए.पी.एस. संस्था के अंतरराष्ट्रीय संयोजक पूज्य ईश्वरचरण स्वामी ने आगामी चुनाव में राष्ट्र के उत्थान और विकास के लिए प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य समझाकर मतदान करने का अनुरोध किया। और पूज्य  डॉ.  स्वामी ने आज के पुष्पदोलोत्सव  उत्सव, जिसका केंद्रीय विषय ‘अंतर अक्षरधाम है’, पर हृदयस्पर्शी और मन को झकझोर देने वाले प्रवचन का लाभ दिया।

परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने रंगोत्सव पर्व पर आशीर्वाद देते हुए कहा, ‘हम सभी यहां दिव्य और भक्ति के रंगों में रंगने के लिए आए हैं। बाहरी रंग एक बार चढ़ता है और फिर उतर जाता है, लेकिन यह रंग एक बार चढ़ता है और फिर उतरता नहीं है। दिव्यता के रंग में रंगना और भगवान की प्राप्ति के बारे में नित्य विचार करना चाहिए।

उत्सव के समापन पर परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने अक्षरपुरुषोत्तम महाराज की पूजा की और उन पर रंग डाला। फिर उपस्थित सभी संतों एवं हरिभक्तों ने आरती अर्ध्य अर्पित किया। परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने सबसे पहले वरिष्ठ सद्गुरु संतों को प्रसादीभूत रंगों से रंगा और संतों ने कलात्मक हारों से स्वामीजी का अभिनंदन किया।

उसके बाद अविस्मरणीय रंगोत्सव शुरू हुआ, जिसमें हरिभक्त पंक्तिबद्ध होकर स्वामीश्री के समीप आते गए। इस प्रकार दिव्य विशाल यान्त्रिक पिचकारी द्वारा महंतस्वामी महाराज ने उपस्थित सभी हरिभक्तों को केसरिया के रंग एवं अध्यात्म के रंग से सराबोर किया। इस अवसर पर सबके चेहरे खुशी से भरे हुए थे।  पूरे परिसर में खुशी, उत्साह और भक्ति की लहरें दौड़ गईं। अंत में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस प्रकार यह बहुत बड़ा त्यौहार बी.ए.पी.एस. संतों एवं भक्तों की कुशल योजना से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।