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Raghav Chadha: फर्जी हस्ताक्षर मामले में सस्पेंड हुए राघव चड्ढा ने साधा BJP पर निशाना, बताई पूरी सच्चाई

Raghav Chadha: चड्ढा ने आगे नकली हस्ताक्षर पर कहा कि, ‘ बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि मैंने बिल के विरोध में बीजेपी सांसदों के नकली हस्ताक्षर किए हैं। मैं आपको सत्य बताता हूं। सत्य ये है कि सदन में किसी भी सदस्य को किसी सांसद के नाम को प्रस्तावित करने का अधिकार होता है।

नई दिल्ली। दिल्ली सेवा बिल मामले में फर्जी हस्ताक्षर करवाने के आरोप में आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। दरअसल, उन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली लोक सेवा बिल को प्रवर समिति को भेजने के लिए सांसदों के फर्जी हस्ताक्षर का सहारा लिया है। वहीं, पत्र पर जिन सांसदों के हस्ताक्षर हैं, वो अब सामने आ कर रहे हैं कि हमने कोई हस्ताक्षर नहीं किया है, जिसके बाद राघव चड्डा बुरी तरह से फंस गए हैं। हालांकि, वो अपने बचाव में दलीलों की दरिया बहाने में किसी भी प्रकार से गुरेज नहीं कर रहे हैं। आइए, आगे आपको बताते हैं कि अपने ऊपर लगे आरोपों पर राघव चड्ढा ने क्या कुछ कहा है?

बता दें कि राघव ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा कि, ‘मुझे राज्यसभा से आज सस्पेंड कर दिया गया। मुझे क्यों निलंबित किया? मुझे क्यों सस्पेंड किया गया ? आखिर मेरा क्या अपराध है ? क्या मेरा यह अपराध है कि मैंने पार्लियामेंट में खड़े होकर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के नेताओं से सवाल पूछे या मेरा ये अपराध है कि मैंने दिल्ली लोक सेवा बिल पर अपनी बात रखते हुए बीजेपी के नेताओं से सवाल पूछे? उन्हें उन्हीं का मेनिफेस्टो दिखाकर उन्हें पुराने वादे पूरे करने को कहा। बीजेपी को आईना दिखाया और आज के बीजेपी को आडवानीवादी और वाजपेयीवादी होने की बात कही। क्या इन्हें ये दर्द सताता है कि कैसे ये 34 साल का युवा, इन्हें संसद में ललकारता है। हमसे सवाल पूछता है। राघव ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये बहुत शक्तिशाली लोग हैं। ये लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसी हफ्ते मुझे कमेटी ऑफ प्रिविलेज के दो नोटिस आ चुके हैं।


राघव ने कहा कि, ‘शायद यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। संसद में विपक्ष को बोलने नहीं दिया जा रहा है। विपक्ष के नेता का माइक बंद कर दिया जा रहा है। इसी मानसून सत्र में आप के तीन सांसदों को निलंबित किया गया है। संजय सिंह, सुशील कुमार रिंकू और मुझे सस्पेंड किया गया है। पहली बार भारत के इतिहास में ऐसा देखने को मिला होगा कि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के नेता को ही सस्पेंड कर दिया गया। यानी की ये लोग चाहते हैं कि कोई भी इनसे सवाल ना पूछे। कोई भी इनके खिलाफ आवाज ना उठाए। हर शख्स को सस्पेंड कर दो। चड्ढा ने आगे कहा कि मैं पूरी हिम्मत से प्रिविलेज कमेटी द्वारा जारी किए गए नोटिस का जवाब दूंगा। इस देश में इससे पहले भी कई नेताओं के खिलाफ नोटिस जारी किए जा चुके हैं, जिसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा चुका है। आप सांसद ने कहा कि बीजेपी जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता ले सकती है, तो मुझे लगता है कि ये लोग कुछ भी कर सकते हैं।

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चड्ढा ने आगे नकली हस्ताक्षर पर कहा कि, ‘बीजेपी के लोग कह रहे हैं कि मैंने बिल के विरोध में बीजेपी सांसदों के नकली हस्ताक्षर किए हैं। मैं आपको सत्य बताता हूं। सत्य ये है कि सदन में किसी भी सदस्य को किसी सांसद के नाम को प्रस्तावित करने का अधिकार होता है। इसमें किसी भी सांसद के लिखित हस्ताक्षर या सहमति की आवश्यकता नहीं होती है। आपको बस प्रस्तावित नाम देने होते हैं और अगर किसी सांसद को आपत्ति है, तो वो अपना नाम वापस ले सकता है। कहीं पर भी ना सिग्नेचर लिए जाते हैं और ना ही दिए जाते हैं और ना ही हमने सिग्नेचर जमा करवाए हैं, लेकिन फिर एक मौका इन लोगों को मिल गया है मुझे पर कीचड़ उछालने का। चड्ढा ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मैं इन्हें कहना चाहता हूं कि मैं इनकी चुनौतियों से डरने वाला नहीं हूं। मैं इन लोगों से अंत तक लड़ता रहूंगा।

Sanjay Singh

 

उधर, आप सांसद संजय सिंह ने भी अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। मणिपुर की हिंसा रोकने के बजाय विपक्ष की आवाज रोकने में लगे हैं। मणिपुर हिंसा के ख़िलाफ़ बोलता रहूँगा। सस्पेंड करो या जेल भेजो। हाँ मैं 56 बार बेल में गया 56 इंच के सीने को चुनौती देने के लिये 56 बार बेल में गया।


बता दें कि बीते दिनों संजय सिंह को सदन में हंगामा करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। दरअसल, आप नेता मणिपुर मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहे थे। इस बीच संजय स्पीकर के आसन के सामने आ गए, जिसकी वजह से उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

वहीं, बीते दिनों दिल्ली लोक सेवा बिल पर चर्चा के दौरान हंगामा करने के आरोप में लोकसभा में आप के इकलौते सांसद सुशाील कुमार रिंकू को भी निलंबित कर दिया गया था। दरअसल, सुशील पर आरोप था कि उन्होंने दिल्ली लोक सेवा बिल की प्रति फाड़ थी, जिसे सदन नियमावलि के मुताबिक दुर्व्यवहार की श्रेणी में शामिल किया गया था, जिसकी वजह से उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

ध्यान दें कि बीते दिनों दिल्ली लोक सेवा बिल ध्वनिमत से संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया था। केंद्र सरकार यह बिल सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के विरोध में लेकर आई थी, जिसमें कहा गया था कि अधिकारियों के ताबदले और नियुक्ति संबंधित फैसले लेने का अधिकार दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पास है। इसके अलावा उपराज्यपाल के पास जमीन, कानून व्यवस्था और सुरक्षा से संबंधित फैसले लेने का अधिकार है, लेकिन कोर्ट के फैसले के हफ्तेभर बाद ही केंद्र दिल्ली सरकार की शक्तियों को कम करने के मकसद से दिल्ली लोक सेवा बिल लेकर आ गई थी, जो कि अब दोनों  सदनों में पारित हो चुका है। कुछ दिनों बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले चुका होगा।