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Vande Bharat Sleeper Train First Look: अब आने वाली है वंदे भारत स्लीपर ट्रेन, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शेयर किए Photos, देखिए कितना शानदार सफर होगा आपका

वंदे भारत स्लीपर क्लास ट्रेनों के अलावा रेलवे ने वंदे भारत मेट्रो वर्जन ट्रेनों को बनाने का फैसला भी किया है। वंदे भारत मेट्रो ट्रेनों को 100 किलोमीटर से कम दूरी की शहरों के बीच चलाने का फैसला किया गया है। इससे यात्रियों को एसी कोच में कम दूरी की यात्रा करने का मौका मिलेगा।

नई दिल्ली। अब तक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को कम दूरी के स्टेशनों के बीच चलाया जा रहा है। इन वंदे भारत ट्रेनों में सिर्फ चेयर कार है। कम दूरी के बीच यात्रा की वजह से वंदे भारत ट्रेनों में स्लीपर कोच नहीं हैं, लेकिन अगले साल यानी 2024 की शुरुआत में लंबी दूरी की यात्रा के लिए लोगों को वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की भी सुविधा मिलने जा रही है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के कोच के अंदर की तस्वीरें अपने ट्विटर यानी एक्स हैंडल पर शेयर की हैं। अश्विनी वैष्णव ने अंदर एसी स्लीपर क्लास की तस्वीरें शेयर करते हुए इसे कॉन्सेप्ट ट्रेन बताया और लिखा कि जल्दी ही यानी 2024 की शुरुआत में ही वंदे भारत स्लीपर वर्जन आने जा रहा है।

इससे पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि वंदे भारत के स्लीपर वर्जन के डिजाइन को मंजूरी मिल गई है और ट्रेन का निर्माण भी शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि स्लीपर वर्जन के वंदे भारत एक्सप्रेस को इस साल दिसंबर में टेस्ट के लिए पटरियों पर उतारा जाएगा। टेस्ट सफल होने पर अगले साल फरवरी में वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को यात्रियों के लिए शुरू किया जा सकता है। अश्विनी वैष्णव ने ये भी बताया था कि चेन्नई में रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्टरी और बेंगलुरु में भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड में वंदे भारत स्लीपर कोच वाली ट्रेनों को बनाया जाना है।

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वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का कोच अंदर से इतना शानदार बनाया जा रहा है।

वंदे भारत स्लीपर क्लास ट्रेनों के अलावा रेलवे ने वंदे भारत मेट्रो वर्जन ट्रेनों को बनाने का फैसला भी किया है। वंदे भारत मेट्रो ट्रेनों को 100 किलोमीटर से कम दूरी की शहरों के बीच चलाने का फैसला किया गया है। इससे यात्रियों को एसी कोच में कम दूरी की यात्रा करने का मौका मिलेगा। वंदे भारत मेट्रो ट्रेनों के पटरियों पर आने से तमाम शहरों के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनों को बंद करने का मौका रेलवे के पास रहेगा।