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Rajasthan: ASI बताएगा हल्दीघाटी में हुए रण का विजेता कौन, हटाया गया पुराना शिलापट्ट

Rajasthan: हल्दीघाटी और राजसमंद के बादशाही बाग में भारतीय पुरातत्व विभाग की तरफ से रक्ततलाई में लगाया गया शिलापट्ट हटा दिया गया है। इस शिलापट्ट में हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को पीछे हटना बताया गया है। हालांकि इस शिलापट्ट में लिखे शब्दों को कुछ लोगों ने बदल दिया था, लेकिन अब एएसआई इस शीलापट्ट को वहां से हटा दिया है।

नई दिल्ली। हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए युद्ध में महाराणा प्रताप हारे नहीं थे। इस बात की पुष्टि अब भारत सरकार का पुरातत्व विभाग भी करेगा। हालांकि राजस्थान सरकार भी इस मामले पर पुष्टि कर चुकी है, लेकिन अब केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग को भी यह जिम्मा सौंपा गया है। दरअसल हल्दीघाटी और राजसमंद के बादशाही बाग में भारतीय पुरातत्व विभाग की तरफ से रक्ततलाई में लगाया गया शिलापट्ट हटा दिया गया है। इस शिलापट्ट में हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को पीछे हटना बताया गया है। हालांकि इस शिलापट्ट में लिखे शब्दों को कुछ लोगों ने बदल दिया था, लेकिन अब एएसआई इस शीलापट्ट को वहां से हटा दिया है।

haldighati

दरअसल BJP सरकार ने स्कूलों के सिलेबस में यह बदलाव किया था जिसमें हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को विजेता बताया गया था। उसके बाद से राजस्थान के राजपूत संगठन लगातार यह मांग कर रहे थे कि भारतीय पुरातत्व विभाग की तरफ से हल्दीघाटी और रक्ततलाई में लगाए गए शिलापट्ट को हटाया जाए। जिस पर कार्रवाई करते हुए यह शिलापट्ट हटा लिया गया है। बता दें कि इस शिलापट्ट पर लिखा था कि 1576 में अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुए हल्दीघाटी युद्ध में राणा प्रताप को पीछे हटना पड़ा था।

Maharana-Pratap_Battle-of-Haldighati

BJP की मांग

जयपुर राजघराना के पूर्व सदस्य और राजसमंद से सांसद दीया कुमारी इस मामले पर क्रेंद्र सरकार से लगातार मांग कर रही है। इसके बाद संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी बयान दिया था। जहां उन्होने कहा कि इस दिशा में आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को आदेश जारी कर दिए गए हैं। एएसआई के जोधपुर रीज़न के प्रभारी अधीक्षक विपिन चंद्र नेगी ने कहा कि इस दिशा में जल्द ही कदम उठाया जाएगा।

बता दे कि हल्दीघाटी की लड़ाई साल 1576 यानी 445 साल पहले हुई थी। जब मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप और मानसिंह के नेतृत्व वाली मुगल शासक अकबर की सेना का आमना-सामना हुआ था। कहा जाता है कि यह लड़ाई सिर्फ चार घंटे चली थी, लेकिन इसमें कई लोगों की जानें गई थी।