Farm Bills 2020: कृषि बिल पर राजनाथ सिंह ने किया स्पष्ट, कहा-एमएसपी खत्म नहीं किया जाएगा

Farm Bills 2020: इस दौरान राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का अनादर करने के मुद्दे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह घटना काफी गलत थी। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।

Avatar Written by: September 20, 2020 7:41 pm
Rajnath Singh

नई दिल्ली। राज्यसभा (Rajya Sabha) में रविवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कृषि से जुड़े दोनों विधेयक- कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पास हो गए। इन विधेयकों को ध्वनि मत से पारित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे कृषि इतिहास में बड़ा दिन बता चुके हैं। वहीं कृषि बिल को लेकर केंद्र सरकार के कई मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, प्रकाश जावड़ेकर, थावरचंद गहलोत, प्रह्लाद जोशी और मुख्तार अब्बास नकवी शामिल थे।

इस दौरान राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का अनादर करने के मुद्दे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह घटना काफी गलत थी। ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था। यह दुखद था। संसदीय मर्यादा का उल्लंघन हुआ। उपसभापति के साथ किया गया आचरण गलत था। आसन पर चढ़ना, रूल बुक फाड़ना काफी दुखद था।

राजनाथ सिंह ने कह कि राज्य सभा के डिप्टी चेयरमैन के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ है उसे सारे देश ने देखा है। संसदीय परंपराओं में विश्वास रखने वाला कोई भी व्यक्ति आज इस प्रकार की घटना से आहत होगा।

BJP PC

राजनाथ सिंह ने कहा कि इन दोनों बिल से न तो APMC समाप्त हो रही है और न ही MSP समाप्त हो रही है। इससे पहले भी हमारी सरकार ने बराबर MSP बढ़ाया है। और जो वादा किया था कि किसानों की आमदनी को दोगुना करेंगे इस लक्ष्य को भी काफी हद तक कामयाब हुए हैं। कृषि के ये दोनों विधेयक किसान और कृषि इन दोनों के लिए ऐतिहासिक है। इसे लागू करने से स्वाभाविक रूप से किसानों की आमदनी बढ़ेगी। लेकिन किसानों के बीच गलतफहमी पैदा की जा रही है।

विपक्ष पर निशाना साधते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि संसद की कार्यवाही चलाने के लिए जहां तक सत्ता पक्ष की आवश्यकता होती है वहीं पर विपक्ष का भी सहयोग आपेक्षित है। लेकिन किसानों में गलतफहमी पैदा करके केवल निहित राजनीतिक स्वार्थ को साधने की जो कोशिश की जा रही है, वो स्वस्थ्य लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुकूल यह नहीं है।