
नई दिल्ली। इन्फोसिस के संस्थापकों में शामिल एनआर नारायण मूर्ति की पत्नी और राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति के टीचरों के बारे में ताजा बयान से बहस छिड़ सकती है। सुधा मूर्ति ने शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा कि टीचरों के लिए नया ट्रेनिंग कोर्स लाना चाहिए। साथ ही सुधा मूर्ति ने कहा कि हर 3 साल में टीचरों की परीक्षा भी लेनी चाहिए। सुधा मूर्ति ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में टीचरों का अहम योगदान होता है। उन्होंने कहा कि बिना जानकारी वाले शिक्षकों के सिस्टम नहीं बदल सकता। बता दें कि सुधा मूर्ति के पति एनआर नारायण मूर्ति ने हर हफ्ते 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया था। जिस पर सोशल मीडिया में माहौल गर्माया था।
टीचरों के बारे में सुधा मूर्ति ने कहा कि जब वे बीए, एमए या पीएचडी पास करते हैं, तो सिस्टम में आ जाते हैं। उसके बाद टीचरों को रिटायर होने तक कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ती। सुधा मूर्ति ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर तीन साल में टीचरों को नई तकनीकी और नई जानकारी का पता होना चाहिए। इसके लिए उनकी परीक्षा ली जानी चाहिए। अन्यथा टीचरों में सुधार नहीं आ सकता। सुधा मूर्ति ने कहा कि आप शानदार स्कूल बनवा सकते हैं, लेकिन अगर टीचर अच्छे न हों, तो ऐसे स्कूल किसी भी काम के नहीं। उन्होंने कहा कि टीचर अपनी शिक्षा से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि पढ़ाना एक कला है। जहां टीचर कभी नाराज होकर, कभी दोस्त बनकर, बच्चों को समझाकर ये काम करते हैं।
सुधा मूर्ति ने कहा कि टीचरों को कई ट्रेनिंग के दौर से गुजरना होता है, लेकिन उनके लिए कोई परीक्षा नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाए कि हर 3 साल में टीचर को परीक्षा दें। ताकि पता चल सके कि उन्होंने अलग तकनीकी से क्या जानकारी हासिल की है। सुधा मूर्ति ने कहा कि तकनीकी लगातार बदलती रहती है। उन्होंने ये भी कहा कि मां के प्यार के अलावा जीवन में कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता। अगर आपको अच्छा टीचर बनना है, तो इसके लिए कीमत चुकानी होगी। ये कीमत पैसों वाली नहीं, बल्कि अच्छी ट्रेनिंग और परीक्षा है।