
नई दिल्ली। सपा सांसद रामगोपाल यादव द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ पर आपत्तिजनक और अशोभनीय टिप्पणी करने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। रामगोपाल का बयान सामने आने के बाद बीजेपी नेता लगातार उनको घेर रहे हैं। इसी बीच विवाद को बढ़ता देख अब रामगोपाल ने अपने बयान पर सफाई दी है। रामगोपाल यादव ने कुछ शरारती लोगों ने मेरे उस उत्तर पर एक काल्पनिक प्रश्न जेनेरेट करके सुपर इम्पोज़ कर उसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का नाम डाल दिया। जबकि सीजेआई और न्यायपालिका से संबंधित न कोई प्रश्न पूछा गया और न मैंने इस संबंध में कुछ कहा है। उधर, बीजेपी ने इस मामले में अखिलेश यादव को भी लपेट लिया है।
रामगोपाल यादव ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखा, आज करहल विधान सभा के लिए होने वाले उप चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तेजप्रताप सिंह का नामांकन था। मैं भी मैनपुरी में था। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोग वहां अधिकतर करहल, मिल्कीपुर और बहराइच के बारे में प्रश्न पूछ रहे थे। बहराइच के बारे कुछ लोगों की इर्रेलेवेंट बात को लेकर मैंने जो उत्तर दिया कुछ शरारती लोगों ने मेरे उस उत्तर पर एक काल्पनिक प्रश्न जेनेरेट करके सुपर इम्पोज़ कर उसमें सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का नाम डाल दिया। जबकि सीजेआई और न्यायपालिका से संबंधित न कोई प्रश्न पूछा गया और न मैंने इस संबंध में कुछ कहा है। मैं मैनपुरी के डीएम और एसएसपी से इस फर्ज़ीवाड़े की जांच की मांग करता हूँ।
Delhi: BJP spokesperson Rohan Gupta says, “This is shocking. Those who claim to uphold the Constitution are being exposed by their own comments. A leader from a party claiming to be the largest in Uttar Pradesh has made such remarks without any response. Akhilesh Yadav should… pic.twitter.com/AoWvxkYFxC
— IANS (@ians_india) October 21, 2024
दूसरी तरफ, बीजेपी प्रवक्ता रोहन गुप्ता ने इस मामले में रामगोपाल के साथ साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी घेरा है। उन्होंने कहा कि जो लोग संविधान के नाम पर राजनीति करते हैं, वो अपनी ही टिप्पणियों से बेनकाब हो रहे हैं। इनके खिलाफ जो भी है ये उसके खिलाफ कुछ भी बोल सकते हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली सपा के वरिष्ठ नेता का यह बयान शर्मनाक है। यह न्यायतंत्र, लोकतंत्र और संविधान का अपमान हैं। मैं अखिलेश यादव से मांग करता हूं कि तत्काल रामगोपाल यादव को बर्खास्त करना चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए। आखिर कैसे कोई न्यायपालिका के सबसे बड़े पद पर आसीन व्यक्ति के बारे में और संविधान के खिलाफ ऐसे बयान दे सकता है।