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Punjab: माफिया मुख्तार अंसारी का जेल खर्च उठाने पर पंजाब में रार, CM मान बोले, पूर्व जेल मंत्री व मुख्यमंत्री से वसूलेंगे पैसा

Punjab: उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर और राजनेता मुख्तार अंसारी अपने आपराधिक रिकॉर्ड और कई लंबित मामलों के कारण सुर्खियों में रहे हैं। पंजाब से उत्तर प्रदेश तक उसका प्रत्यर्पण एक लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा रहा है, जिसमें विभिन्न अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ी गई है।

नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गैंगस्टर मुख्तार अंसारी से कानूनी खर्च के रूप में लाखों रुपये वसूलने के अपने फैसले की घोषणा की है, जो इस समय उत्तर प्रदेश में हिरासत में है। इससे पहले भगवंत मान ने मुख्तार अंसारी से जुड़े कानूनी खर्चे उठाने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अब उन्होंने इसका खर्च पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व जेल मंत्री से वसूलने का इरादा जाहिर किया है। गौरतलब है कि अप्रैल में मुख्यमंत्री कार्यालय ने गैंगस्टर मुख्तार अंसारी से जुड़े कानूनी खर्च के करीब 55 लाख रुपये के भुगतान की मांग वाली फाइल को लौटा दिया था।

अब मुख्तार अंसारी को पंजाब जेल में रखने के मामले में पंजाब सरकार ने अहम कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट किया, ”गैंगस्टर अंसारी को पंजाब जेल में रखने और सुप्रीम कोर्ट में उसका केस लड़ने की 55 लाख फीस पंजाब के खजाने से नहीं दी जाएगी। यह पैसा पूर्व गृह मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व जेल मंत्री से वसूला जाएगा।” पूर्व जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह यदि भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो उनकी पेंशन और अन्य सरकारी लाभ रद्द करने से पंजाब सरकार नहीं हिचकेगी।”

पंजाब के मुख्यमंत्री के इस फैसले से मुख्तार अंसारी की हिरासत और खर्च को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह हाई-प्रोफाइल कैदियों से जुड़ी कानूनी लागतों की वसूली के राजनीतिक और वित्तीय मामलों से जुड़ा विवाद है। भगवंत मान और उनके सामने कमजोर पड़ी पूर्व सरकार के बीच झगड़ा गहराता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर और राजनेता मुख्तार अंसारी अपने आपराधिक रिकॉर्ड और कई लंबित मामलों के कारण सुर्खियों में रहे हैं। पंजाब से उत्तर प्रदेश तक उसका प्रत्यर्पण एक लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा रहा है, जिसमें विभिन्न अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ी गई है। कानूनी खर्चों की वसूली से पहले से ही जटिल कानूनी कार्यवाही में जटिलताएं और बढ़ जाती हैं।