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Review of “Un Finished: The End of Kejriwal Era?”: ‘अन-फिनिश्ड: द एंड ऑफ केजरीवाल एरा?’, मशहूर पत्रकार सुमित अवस्थी की यह किताब देती है आम आदमी पार्टी के बनने से लेकर विवादों में घिरने की गहन जानकारी

Review of “Un Finished: The End of Kejriwal Era?”: इस किताब को जो बात अलग बनाती है, वह है इसका निष्पक्ष होना और ऐसा सूक्ष्म विश्लेषण पेश करना, जो न केजरीवाल का महिमामंडन करता है और न ही उनका अपमान करता है। सुमित अवस्थी का लेखन आकर्षक होने के साथ ही जटिल राजनीतिक गतिशीलता को नीतियों के प्रति उत्साही लोगों से लेकर जिज्ञासु पाठकों के लिए समझने लायक बनाता है। यह पुस्तक अनकही कहानियों और कठोर सवालों को बुनने की अपनी क्षमता के कारण रोचक भी है।

नई दिल्ली। मशहूर और वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी की नई किताब ‘अन-फिनिश्ड: द एंड ऑफ केजरीवाल एरा?’ आई है। इसे इनविंसिबल पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड ने प्रकाशित किया है। ये किताब अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के उदय, परिवर्तनकारी वादों और विवादों की गहन जानकारी देती है। सुमित अवस्थी की लिखी यह किताब सभी प्लेटफॉर्म पर बहुत अच्छी समीक्षा भी हासिल कर रही है।

सुमित अवस्थी 30 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं। अपनी ताजा किताब में वो कहानी में अनुभव वाला परिप्रेक्ष्य लाए हैं। जो सुर्खियों के पीछे की कहानियों को उजागर करने के लिए एक रिपोर्टर की आदत के साथ गहन शोध को साथ रखते हैं। अन-फिनिश्ड: द एंड ऑफ केजरीवाल एरा? पुस्तक तीन जीवंत भागों में बंटी है। सुमित अवस्थी की लिखी किताब पाठकों को राजनीतिक रोलरकोस्टर के जरिए जानकारी देती है। किताब अरविंद केजरीवाल के स्वच्छ शासन, मुफ्त पानी, सब्सिडी वाली बिजली और अभिनव मोहल्ला क्लीनिक के साहसिक वादों से शुरू होती है। दरअसल, केरजीवाल के इन पहलों ने पारंपरिक राजनीति से मोहभंग हो चुके लाखों लोगों में उम्मीद जगाई। हालांकि, सुमित अवस्थी ने सावधानीपूर्वक खुलासा किया है कि कैसे भ्रष्टाचार के आरोप, शराब नीति घोटाला और अहंकार की धारणाएं आम आदमी पार्टी की आदर्शवादी छवि को नष्ट करने लगीं। जिनकी वजह से सवाल उठने लगे कि क्या केजरीवाल का युग अपने अंत के करीब है?

 

इस किताब को जो बात अलग बनाती है, वह है इसका निष्पक्ष होना और ऐसा सूक्ष्म विश्लेषण पेश करना, जो न केजरीवाल का महिमामंडन करता है और न ही उनका अपमान करता है। सुमित अवस्थी का लेखन आकर्षक होने के साथ ही जटिल राजनीतिक गतिशीलता को नीतियों के प्रति उत्साही लोगों से लेकर जिज्ञासु पाठकों के लिए समझने लायक बनाता है। यह पुस्तक अनकही कहानियों और कठोर सवालों को बुनने की अपनी क्षमता के कारण रोचक भी है। साथ ही मुख्यधारा की कहानी को भी बताती है। जबकि, राजनीतिक नियति को आकार देने में भारत के वोटरों की ताकत पर भी नजर डालती है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इस पुस्तक को “पत्रकार की डायरी” और केजरीवाल की घटना का “निष्पक्ष विश्लेषण” बताया गया है। जिसमें आम आदमी पार्टी के भविष्य के बारे में नई अंतर्दृष्टि लाने और चर्चाओं को बढ़ावा देने की क्षमता पर ध्यान दिया गया है। यह भावना पुस्तक की ताकत के साथ ध्वनित होती है। सुमित अवस्थी की किताब अन-फिनिश्ड: द एंड ऑफ केजरीवाल एरा? पाठकों के मन में यह सवाल भी लाती है कि हकीकत में क्या हुआ और क्या केजरीवाल की राजनीतिक कहानी वास्तव में अधूरी है? हालांकि, यह किताब केजरीवाल और उनके करीबी लोगों की व्यक्तिगत प्रेरणाओं पर गहराई से विचार कर सकती थी, जिससे राजनीतिक विश्लेषण में भावनात्मक गहराई भी शामिल होती।

सुमित अवस्थी की किताब के बारे में अमेजन पर आई कुछ प्रतिक्रिया इस तरह की हैं।

इसके साथ ही जबकि किताब अच्छी तरह से शोध के बाद लिखी गई, लेकिन कुछ पाठकों को आम आदमी पार्टी के विवादों पर ध्यान उपलब्धियों पर थोड़ा हावी हो सकता है। फिर भी किताब आलोचनात्मक दृष्टिकोण से मेल खाती है। कुल मिलाकर, भारतीय राजनीति, मीडिया या नीति विश्लेषण में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए अन-फिनिश्ड: द एंड ऑफ केजरीवाल एरा? जरूर ही पढ़ी जाने वाली किताब है। यह एक विचारोत्तेजक यात्रा है जो एक परिवर्तनकारी राजनीतिक प्रयोग के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है। सुमित अवस्थी का काम भारत के भविष्य के बारे में सार्थक बातचीत को बढ़ावा देते हुए नेताओं को जवाबदेह ठहराने में पत्रकारिता की शक्ति का प्रमाण है।

रेटिंग: 4/5 स्टार

अनुशंसा: राजनीतिक उत्साही, भारतीय शासन के छात्र, और गतिशील लोकतंत्र में नेतृत्व की जटिलताओं के बारे में उत्सुक पाठकों के लिए शानदार जानकारी देने वाली किताब।